भ्रम !!!!!
मन की आशा से, तृष्णा की कलम से ,
पानी पे चित्र बनाता हूँ ?कुछ लिखता और मिटाता हूँ ?
नव रचना है ,है संगीत नया , हर बार ही स्वप्न सजाता हूँ ,
विस्मृत स्मृतियों में कुछ बाकी ! स्मृतियों को लेकिन समझ नहीं पाता हूँ !
पानी पे चित्र बनाता हूँ???
हर तीन प्रहर की रचना में, हर रंग नया सजाता हूँ !!!
पानी पे लिखता जाता हूँ………………………………
है मतिभ्रम कुछ अंदाज़ नहीं ,
मैं कौन, कहाँ से आया हूँ?
क्या मैं हीं सब कर पाता हूँ ?
पानी पे चित्र बनाता हूँ ???
है असमंजस !!! ऐ तीन प्रहर ???
इस तीन प्रहर के मेले में ? प्रतिपल ही खोता जाता हूँ ,
कितने ही झंझावातों को तोङ, नित नूतन राह बनाता हूँ ,
पानी पे लिखता जाता हूँ ??? पानी पे लिखता जाता हूँ ???
है सांसों का क्रम क्यों निश्चित मेरा ???
वहाँ दूर क्षितिज पे है कौन खङा ???
किसकी अभिलाषा का साथी हूँ ???
क्यों हर बार उसे भुला जाता हूँ ???
पानी पे चित्र बनाता हूँ??? पानी पे चित्र बनाता हूँ???
है संगीत नया ,नव नूतन काया ?
है उन्माद नया? है उल्लास नया ?
है राग नया ?हर बसंत नया ?
हर बार ही लिखता जाता हूँ ???
पर कुछ तो है ?किसको? क्यों ?विस्मृत कर जाता हूँ ???
पानी पे लिखता जाता हूँ ??? पानी पे लिखता जाता हूँ ???
अपनी जिद का वो भी पक्का ???
है प्रीत का लेकिन वो…? सच्चा ,
वो अपनी प्रीत निभाता है !!!
मैं अपनी जीत निभाता हूँ ? पानी पे लिखता जाता हूँ
उसकी प्रीत में जकङा जाता हूँ!! पानी पे लिखता जाता हूँ???
पाँचों तत्वों को छोङ यूँ हीं ???
तन के पिजरे को तोड़ यूँ हीं ???
मैं कौन हूँ??? आखिर मैं समझ ही जाता हूँ ,
मैं उसकी प्रीत निभाता हूँ !!!!
मैं गीत यही दोहराता हूँ ………………….
फिर गीत यही दोहराता हूँ ……………….
पानी पे लिखता जाता हूँ ???
पानी पे लिखता जाता हूँ ???
अच्छी कविता. लेकिन इतने प्रश्नवाचक चिह्न क्यों लगाये हैं?