माल मार्केट
बहुत कहने करने पर भी सेठ नहीं माना तो सभी मजदूर और गरीब लोग सरकार के पास अपना दुखड़ा लेकर पहुंचे| लेकिन उनको वहाँ भी निराशा ही मिली| सरकारी अफसर ने कहा ”तुम लोगो को अपनी जमीन का मुवावजा मिल जायेगा, जिससे तुम कहीं और जगह अपना ठिकाना बना लेना| जब ये माल मार्केट बनेगा तो इससे लोगो को बहुत सुविधा होगी |’ बेचारे गरीब मजदूर अब जाये तो किसके पास जाये …मुवावजा लेने मे ही अपनी भलाई समझी ,लेकिन उनकी एक शर्त थी कि माळ में हम सब मजदूरों को काम देना होगा, उनकी इस शर्त को सेठ ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
अच्छी लघु कथा. गरीबों के सामने अधिक विकल्प नहीं होते. विकास के नाम पर उनको ही सबसे अधिक उजाड़ा जाता है.