राजनीति

सरदार पटेल का 3000 करोड़ का स्मारक

आज सरकार द्वारा सरदार पटेल जी की स्मृति में एकता दिवस का आयोजन किया जा रहा हैं। इस उपलक्ष में प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी ने सरदार पटेल की नर्मदा तट पर विशाल लोह प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया हैं जिस पर 3000 करोड़ रुपये के करीब खर्च होने का अनुमान हैं। वैसे मोदी जी की अधिकतर नीतियों से हम संतुष्ट रहते हैं मगर प्रतिमा पर 3000 करोड़ का खर्च भारत जैसे राष्ट्र के लिए जहाँ पर करोड़ो लोग आज भी भरपेट भोजन, उचित शिक्षा, चिकित्सा सुविधा, रोजगार आदि से वंचित हैं इतना व्यय करना असंतोषजनक हैं। मेरे विचार में दो कारण हैं। सबसे पहले सरदार पटेल के जीवन को जानने की आवश्यकता हैं। उनके जीवन का एक प्रेरणादायक प्रसंग देना चाहता हूँ।

सरदार पटेल की लड़की का नाम मणिबेन था। एक बार एक पुराने क्रन्तिकारी सरदार पटेल से मिलने गए। तब सरदार पटेल केंद्र में गृह मंत्री थे तो  उन्होंने देखा की मणिबेन चरखे पर सूत काट रही थी और उन्होंने जो साड़ी पहनी थी उसमे कई स्थानों पर टांके लगे हुए थे।  उन्होंने इसका कारण पूछा।  मणिबेन ने कहाँ की जब पिताजी की धोती पुरानी हो जाती हैं अथवा फट जाती हैं तब मैं उसमे टांके लगाकर उसे साड़ी के रूप में इस्तेमाल कर लेती हूँ।  वे क्रांतिकारी मन ही मन आधुनिक भारत देश को चक्रवर्ती राज्य बनाने वाले सरदार पटेल की सादगी और  ईमानदारी से प्रभावित होकर धन्य कहकर चला गए। सरदार पटेल जीवन यापन में सरल, सादे बिना दिखावे वाले थे। उनके इस जीवन से प्रेरणा लेने किये लिए प्रतिमा से अधिक उनके विचारों के प्रचार-प्रसार की अधिक आवश्यकता हैं।

दूसरा कारण भारत में होड़ का हैं। आज 3000 करोड़ रुपयेमें पटेल की मूर्ति बन रही हैं। कल सरकार बदलने पर अन्य नेता जो भिन्न भिन्न पार्टियों से सम्बंधित हैं , भिन्न भिन्न विचारधाराओं से सम्बंधित हैं  अपने अपने नेता की विशाल मूर्तियां बनाने में देश के उस संसाधन को व्यय कर देंगे जिसका सदुपयोग विकास एवं सुविधाओं में किया जा सकता हैं। समाजवादी डॉ लोहिया की मूर्ति बनायेगे, दलित  डॉ अम्बेडकर या महात्मा फुले की बनायेगे, कांग्रेसी गांधी जी या गांधी परिवार की बनाएंगे, दक्षिण पार्टियों वाले पेरियार की बनायेगे, कम्युनिस्ट नम्बूदरीपाद की बनायेगे। ऐसी होड़ लगेगी देशवासी अपने टैक्स रूप में जमा कराये धन को लूटते देख केवल हाथ मलते रह जायेगे। पूरा देश मूर्तियों और समरकों से भर जायेगा। जिसका जो मन करेगा वो वैसा करेगा।

जब उत्तर प्रदेश की तत्कालीन  मुख्यमंत्री मायावती ने नोएडा, लखनऊ दलित पार्क बनाने का विचार किया था, तब मैंने एक दलित मित्र से उसे बनाने का प्रयोजन पूछा था। उन्होंने बताया की इससे दलितों में आत्मविश्वास बढ़ेगा एवं स्मारक चिरकाल तक दलितौद्धारक नेताओं की स्मृतियों को सहेज कर रखेगा। मेरा उत्तर स्पष्ट था की अगर वाकई में मायावती दलितों का उद्धार करना चाहती हैं तो उसे वही  करना चाहिए जो डॉ आंबेडकर चाहते
थे। हर दलित शिक्षा प्राप्तकर सबल बने, कोई भी दलित भूखा न रहे, कोई भी दलित बेरोजगार न रहे, कोई भी दलित बिना ईलाज के मत तड़पे। और निश्चित रूप से ये स्मारक, ये मूर्तियां ऐसा करने में असक्षम हैं।

यह मेरा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चिंतन हैं। जिस पर चिंतन करने की आवश्यकता हैं। अन्यथा भविष्य में स्मारकों पर धन की खुली लूट के लिए तैयार रहे।

डॉ विवेक आर्य

3 thoughts on “सरदार पटेल का 3000 करोड़ का स्मारक

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आप का लेख सोचने को मजबूर करता है किओंकि जब देश में भूख हो तो इतना धन खर्च ऐसे करना मुझे तो सही नहीं लगता . इतना धन तो तब खर्च करना बनता है जब हर देश वासी खुशहाल हो .

  • विजय कुमार सिंघल

    डॉ साहब, आपकी भावनाओं से सहमत होते हुए भी आपके निष्कर्षों से मैं असहमत हूँ. आपके विचार भ्रामक धारणाओं या सूचनाओं पर आधारित हैं. पहली बात, यह स्मारक ३००० करोड़ नहीं केवल ३०० करोड़ रूपयों से बनेगा. इतनी राशि तो मामूली पार्कों पर ही व्यय कर दी जाती है. दूसरी बात, यह सरदार पटेल की केवल मूर्ति नहीं होगी, बल्कि उनका पूरा स्मारक होगा. केवल बाहरी आवरण ही मूर्ति जैसा दिखाई देगा. उसके भीतर जो भवन होगा, उसमें राष्ट्रीय एकता पर बहुत प्रेरणादायक सामग्री होगी. उसका और भी रचनात्मक उपयोग होगा. इसलिए इतना व्यय करना उचित है.
    आपको जो भ्रामक सूचनाएँ मिली हैं, कृपया उन्हें सुधार लें.

    • Man Mohan Kumar Arya

      श्री विजय कुमार सिंघल जी के पत्र में दिए गए बिंदु विचारणीय हैं।

Comments are closed.