भाग्यशाली ……
राधे लाल जी ने एक पल के लिए भी नही सोचा था कि उनको बिना लाठी की मार खानी पड़ेगी | लाडले बेटे शिव की सगाई, बड़ी धूम-धाम से कुछ दिन पहले ही की थी| दो माह बाद शादी की तिथि घोषित हुई थी | पर ये क्या ! जिसकी बारात निकलनी थी | आज उसकी अर्थी निकल रही है | हर परिचित की आँखे नम थी | दुख की इस घड़ी में बहुत से लोग उनको सांत्वना देने को आये हुए थे | उन्ही में से किसी की आवाज आयी ” लडकी अभागी है| रिश्ता होते ही लडके को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा | दुःख का पहाड़ टूट पडा फिर भी लडके का पिता बोला ”आप कौन होते हो ये तय करने वाले कि लडकी के कारण ये सब हुआ , वो तो नसीब वाली है जो ये शादी से पहले हुआ | किस्मत तो हमारी फूटी है | हमे उम्र भर पहाड़ सा दुःख झेलना है |”
शान्ति पुरोहित
waah di kmaal …..
शुक्रिया गुंजन अग्रवाल
अच्छी लघुकथा. कम शब्दों में बहुत कुछ कह देती है.
आदरणीय विजय कुमार भाई जी आभार आपका
शान्ति बहन , हमेशा की तरह आप की लघु कथाओं में समाज में जागरूपता पैदा करने के लिए कोशिश होती है और यह कहानी भी उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो घिसे पिटे दकिअनूसी विचार रखते हैं .
आदरणीय गुरमेल भाई साहब आभार आपका
एक नयी सोच …..अपने हृदय पर पत्थर रख कर ही कोई ऐसा बोल सकता है
आभार उपासना सखी