गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : जीवन नैया डांवांडोल

जीवन नैया डांवांडोल
बाबा अब तो आँखें खोल

खुल जायेगी तेरी पोल
खुद को इतना भी न टटोल

प्यार में बिक जाये अनमोल
इक गुड़िया है गोल-मटोल

कौन यहाँ किसको क्या दे
सबके हाथों में कशकोल

आज हादसा नहीं हुआ
जश्न मनाओ, पीटो ढोल

जो बिछुड़ा वो फिर न मिला
हम समझे थे दुनिया गोल

क्यों मुश्किल में पड़ता है
सबकी बातों पर हाँ बोल

सोने पर लोहा भारी
वक़्त आ गया लोहा तोल

श्रद्धा जैन

उपनाम -श्रद्धा जन्म स्थान -विदिशा, मध्य प्रदेश, भारत कुछ प्रमुख कृतियाँ विविध कविता कोश सम्मान 2011 सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित कविता कोश टीम मे सचिव के रूप में शामिल आपका मूल नाम शिल्पा जैन है। जीवनी श्रद्धा जैन / परिचय

One thought on “ग़ज़ल : जीवन नैया डांवांडोल

  • विजय कुमार सिंघल

    आज हादसा नहीं हुआ
    जश्न मनाओ, पीटो ढोल

    गजब की ग़ज़ल है ! लगता है प्रत्येक शेर व्यवस्था के मुंह पर एक तमाचा है.

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