कविता : सुबह की पहली दुआ
सुबह की पहली दुआ,
खुशनुमा आगाज़ तुझसे है!
जब तू आ जाती है,
ज़ेहन में मेरे,
मुस्कुरा उठते हैं अधर,
खिल उठता है मन का कमल——–
आ जाती है आँखों मैं चमक,,
सच्चा प्यार जो तुझसे है,
मेरे दिल को ,
ऐतबार तुझसे है!
एे मेरी कविता,मेरी जिंदगी,
मेरी मोहब्बत,मेरी बंदगी तुझसे है——
में तुझको खुद मैं,पाना
चाहती हूँ!
तू बस जा धड़कन बन ,
साँसों में मेरी!
कि में तेरी हो तुझमें ,
समाना,चाहती हूँ!
बर्षों से है प्यासी ,
ये रूह मेरी,
कि तेरी रूह मैं, समाना चाहती हूँ——–
शिद्दत से हैं लव, प्यासे तेरे लिये,
कि अब प्यास ,लवों की ,
बुझाना,चाहती हूँ!
मेरी कविता मेरी जाँ,
ज़िन्दगी,
मैं तुझमें ढ़ल जाना ,
चाहती हूँ!
“आशा” सरगम बन बस जा,
तू साँसों मैं मेरी!
कि में धड़कन की वीणा मैं,
खो जाना चाहती हूँ———–
…राधा श्रोत्रिय”आशा”
Meri kavita ko sthan dene k liye m aapki dil s aabhari hu Sammanit Vijay ji 🙂