कविता

कविता : सुबह की पहली दुआ

सुबह की पहली दुआ,
खुशनुमा आगाज़ तुझसे है!
जब तू आ जाती है,
ज़ेहन में मेरे,
मुस्कुरा उठते हैं अधर,
खिल उठता है मन का कमल——–
आ जाती है आँखों मैं चमक,,
सच्चा प्यार जो तुझसे है,
मेरे दिल को ,
ऐतबार तुझसे है!

एे मेरी कविता,मेरी जिंदगी,

मेरी मोहब्बत,मेरी बंदगी तुझसे है——
में तुझको खुद मैं,पाना
चाहती हूँ!
तू बस जा धड़कन बन ,
साँसों में मेरी!
कि में तेरी हो तुझमें ,
समाना,चाहती हूँ!
बर्षों से है प्यासी ,
ये रूह मेरी,
कि तेरी रूह मैं, समाना चाहती हूँ——–
शिद्दत से हैं लव, प्यासे तेरे लिये,
कि अब प्यास ,लवों की ,
बुझाना,चाहती हूँ!
मेरी कविता मेरी जाँ,
ज़िन्दगी,
मैं तुझमें ढ़ल जाना ,
चाहती हूँ!
“आशा” सरगम बन बस जा,
तू साँसों मैं मेरी!
कि में धड़कन की वीणा मैं,
खो जाना चाहती हूँ———–
…राधा श्रोत्रिय”आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"

One thought on “कविता : सुबह की पहली दुआ

  • Radha Shrotriya

    Meri kavita ko sthan dene k liye m aapki dil s aabhari hu Sammanit Vijay ji 🙂

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