प्रेम
दया और दिनेश पडौसी होने के नाते एक स्कूल में पढ़ते थे | धीरे -धीरे उनमे मित्रता बढ़ी मित्रता ने प्रेम का रूप ले लिया | दोनो के घर वालो से ये बात छिपी हुई नहीं थी | दिनेश के माता -पिता को दया का दिनेश के साथ इतना घुलमिल जाना नागवार गुजरता था | दया के माता -पिता जानते थे कि दया को दिनेश के घर में पसंद नहीं करते है | उन्होंने दया की मर्जी के खिलाफ एक जगह उसके रिश्ते की बात पक्की की |
लडके वाले दया को देखने आने वाले थे |सुबह से शाम हो गयी पर वो नहीं आये | पता चला कि दिनेश के पिता ने उनको कहा कि लडकी किसी अन्य लडके के साथ शादी करना चाहती है |आज दस वर्ष हो गये दिनेश अपनी पत्नी और दो सुंदर बच्चो के साथ सुखमय जीवन व्यतित कर रहा है और दया ने बदनामी के कारण फिर शादी का विचार ही निकाल दिया आज भी वो अपने को औरत होने को कोसती है
ऐसी दुखांत प्रेम कथाएं भी पढने को मिलती हैं. बहुत दुखद !
shukriya vijay kumar bhai ji
दुखद कहानी , कब ख़तम होगी यह दखल अंदाजी ? एक छोटी सोच के कारण एक लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई .
shukriya gurmel bhai sahab ji