हाइकु/सेदोका

हाइकु

चमका रवि
खिला अमलतास
थिरके पक्षी

रवि प्रदीप
तिमिर का प्रहरी
तेजसमयी

तपता रवि
जले विटप तन
गर्म ऋतु में

निकल आया
सूरज मुखी थाल
रश्मि के साथ

बीती रजनी
प्रकट रश्मिरथ
बिखरी रोली

— शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

One thought on “हाइकु

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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