पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है
एक कहावत हैं “पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है”आज रामपाल को देख कर यही कहना चाहता हूँ कि यह फूट गया।
स्वामी दयानंद जैसे महान वेदों के विद्वान, समाज सुधारक, युगपुरुष के विरुद्ध असभ्य जंगली भाषा में फालतू बयानबाजी करने वाले रामपाल की बाकि जिंदगी अब जेल में उसी कर्मों के कारण निकलेगी। आर्यसमाज विशेष रूप से आचार्य बलदेव एवं आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा जिसने गोलियाँ खाई, लाठियाँ खाई, बलिदान दिया मगर करौंथा आश्रम को बंद करके ही माने। शहीद आचार्य उदयवीर को नमन जिन्होंने प्राण देकर ऋषि के सिद्धांतों की रक्षा करी, पहलवान संदीप के मातापिता एवं विधवा पत्नी को बधाई जिनके बलिदान से सम्पूर्ण आर्यजगत् सुशोभित हुआ। बलिदानी सोनू को नमन जिसने सबसे पहले रामपाल के पाखंड का खंडन करते हुए प्राण दिए।
इस यज्ञ में मेरी एक छोटी से आहुति थी। भाई कलम का सिपाही हूँ कलम से ही लड़ सकता हूँ। संजय जी कुरुक्षेत्र वाले के सहयोग से एक छोटी से वेबसाइट बनाई थी रामपाल के खिलाफ। आपको पसंद आये तो धन्यवाद देना। ऋषि ऋण से तो जन्मों में भी नहीं उऋण नहीं हो सकते फिर भी ऋषि को सादर नमन।
डॉ विवेक आर्य
वेबसाइट पर देखिये –
ऐसे आश्रम जगह जगह बन गए हैं जो लोगों को राम नाम का पाठ पड़ा कर करोड़ों रूपए कमा रहे हैं और इस स्ट्रैस भरे दौर में लोग इनकी ओर खींचे चले आ रहे हैं . यही लोग मैह्न्घाई का रोना रो रहे हैं और हकूमत को कोसते हैं .
आपका लेख पढ़कर मुझे मनुस्मृति का श्लोक “धर्मो एव हतोहन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः” स्मरण हो आया. श्लोक का अर्थ है कि जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उंसकी रक्षा करता है। जो धर्म की रक्षा नहीं करता व उसकी अवहेलना करता है, धर्म भी उसकी रक्षा नहीं करता।