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धर्म त्याग रहे हैं यूरोप के मुसलमान

यूरोप में बड़ी संख्या में मुसलमान सार्वजनिक तौर पर अपना धर्म छोड़कर ईसाइयत अपना रहे हैं। पैस्टर सईद उजिबोऊ उन चंद लोगों में से हैं जिन्होंने इस्लाम छोड़ने के अपने फैसले को सार्वजनिक तौर पर कबूला। वह कहते हैं, ‘अब वक्त आ गया है कि हम छिपना बंद करें।’

फ्रांस में रहने वाले 46 साल के सईद इस्लाम छोड़कर प्रोटेस्टेंट हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मेरे फैसले से मेरे धर्म के लोग खीजे और उन्होंने ताने भी दिए, लेकिन वे मुझे सहन कर रहे हैं। सईद ने मुस्लिम ब्रदरहुड और सलफिस्ट के करीबी फ्रांसीसी मुसलमानों को चेतावनी दी कि वे धर्म छोड़नेवालों के बारे में उल्टा-सीधा न बोलें।

बेल्जियम की लीग यूनिवर्सिटी में इस्लाम विशेषज्ञ रादुआन आतिया बताते हैं कि धर्म त्यागना इस्लाम में प्रतिबंधित है, लेकिन पैस्टर सईद कहते हैं अब ईसाइयत अपनाने वाले मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है।

आतिया इस बारे में कहते हैं कि अरब देशों की तरह यूरोप में भी ईश्वर को न मानने वाले बढ़ रहे हैं, लेकिन नई बात है कि अब लोग नजर आना चाहते हैं। वह बताते हैं कि जिहाद ने इस्लामी कट्टरपंथ और जिहाद की वजह से ही इससे लोगों का मोहभंग बढ़ा है।

बेल्जियम के एक इंजिनियर अहमद ने इस्लाम छोड़ दिया, क्योंकि वह इस धर्म के लोगों की जिंदगी पर पूर्ण नियंत्रण से खुश नहीं थे। अपना परिचय जाहिर न करने की शर्त पर अहमद ने बताया कि हर जगह कट्टरपंथी मौजूद हैं और यह इस्लाम का पाखंड है जिससे मैं तंग आ गया था।

लंदन के इम्तियाज शम्स 25 साल के हैं और उनका परिवार बहुत ज्यादा रूढ़िवादी है। शम्स ने दो साल पहले इस्लाम त्याग दिया और पूर्व मुसलमानों का एक अंडरग्राउंड समुदाय जॉइन कर लिया है। लंदन में इस समुदाय के 300 सदस्य हैं।

 

2 thoughts on “धर्म त्याग रहे हैं यूरोप के मुसलमान

  • विजय कुमार सिंघल

    इस समाचार पर आश्चर्य नहीं हुआ. आश्चर्य तो इस बात का है कि यह समाचार देर से आया. वास्तव में इस्लाम के नाम पर जो बर्बरता और खून खराबा हो रहा है और इस्लाम के झंडाबरदार इस पर चुप्पी साध कर बैठ गए हैं, उसके बाद शांटी पसंद मुस्लिमों के पास इस्लाम छोड़ने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं रह गया है. परन्तु इस्लाम को छोड़ना भी इस्लामी देशों में अपराध मन जाता है, इसलिए बहुत से लोग चाहते हुए भी इसे छोड़ नहीं सकते. यूरोप के लोकतान्त्रिक देशों में ही ऐसा करना संभव है और उनको भी अपनी जान की चिंता रहती है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    जब धर्म खून खराबे पे आ जाए तो वोह धर्म धर्म नहीं रहता . जिस धर्म के लोग शरेआम गर्दने काट कर टीवी पर दिखाएं तो लोग सोचने पर मजबूर तो होंगे ही .

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