राजनीति

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति से भारत का बजा दुनिया में डंका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार के बने अब छह माह हो चुके हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में यदि कोई विभाग अच्छा काम करता दिखलाई पड़ रहा है तो वह है विदेश विभाग और उनकी नीतियां। आज भूटान से लेकर ब्राजील, नेपाल, फिर जापान की द्विपक्षीय यात्रा, अमेरिका में संयुक्तराष्ट्र महासभा की बैठक से लेकर मैडिसन स्क्वेयर में भारतीय मूल के लोगों को सम्बोधित करना, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐतिहासिक म्यांमार दौरा जहां विश्व के अनेक शासनाध्यक्ष उनसे मिलने के बेकरार हो रहे थे वहीं आस्ट्रेलिया में आयोजित जी-20 सम्मेलन में मोदी का कालेधन को लेकर अपनी चिंता जाहिर करना और उसमें सहयोग मानना तथा 28 सदस्यीय यूरोपियन संघ क नेताओं से बातचीत। आस्ट्रेलिया के आलफाॅन्स एरिना में भारतीयों को जिस प्रकार से संबोधित किया तो वहां पर समा ही बंध गया था। आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान यह मोदी प्रभाव ही था कि आस्ट्रेलिया भारत को जल्द यूरेनियम सप्लाई के लिए तैयार हो गया। आस्ट्रेलिया के साथ सामाजिक सुरक्षा, सजायाफ्ता लोगों के हस्तातंरण, मादक पदाथों की तस्करी रोकने में सहयोग, पर्यटन, कला व संस्कृति में सहयोग को लेकर भी कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। 28 वर्षों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने आस्ट्रेलियाई संसद को संबोधित किया।

फिर फिजी की यात्रा में भी मोदी-मोदी की गूंज सुनाई दी। लगभग 33 वर्षो के बाद देश के किसी प्रधानमंत्री की यह फिजी यात्रा थी जहां पर 37 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग रहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने फिजी को आठ करोड़ अमेरिकी डाॅलर की सहायता प्रदान की। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं के दौरान लोगों व नेताओं की दीवानगी को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि यदि इन देशों में मोदी चुनाव लड़ते तो यहां पर भी इनको कोई रोकने वाला नहीं था।

आज पूरे विश्व में भारत की जयकार हो रही है। अभी हाल ही में सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान सभी पड़ोसी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ हाथ मिलाया तथा एक प्रकार से मोदी ही केंद्रबिंदु बनकर उभरे लेकिन पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हाथ नहीं मिलाया। जब उन्हें यह लगने लगा कि वे सार्क देशों में बिल्कुल अलग-थलग पड़ जायेंगे तब जाकर हाथ मिलाया लेकिन दिल नहीं मिले। तब तक पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका था। सार्क शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने जहां मुम्बई हमले को याद किया वहीं पाक के शरीफ ने उसपर एक शब्द तक नहीं बोला। पाकिस्तान की पूरी कोशिश यह थी कि किसी न किसी प्रकार से सार्क शिखर सम्मेलन को फ्लाॅप कर दिया जाये। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने फिलहाल सार्क हितों को ध्यान में रखकर नवाज शरीफ से आगे बढ़कर हाथ मिलाया। जिसके बाद पूरा हाल तालियों से गूंज उठा जब प्रधानमंत्री नेपाल से रवाना हुए तो उन्होनें नेपाल की जनता का अभिवादन स्वीकार किया। नेपाल में प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के साथ लगभग दस द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

विगत छह माह में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश नीति के माध्यम से भारत का पक्ष अंतराष्ट्रीय मंचों पर काफी मजबूत करने का प्रयास किया है। कश्मीर मामले पर पाकिस्तान लगभग अलग-थलग पड़ता जा रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन में कालेधन के मुददे पर लगभग सभी देश प्रधानमंत्री मोदी के विचारों से सहमत दिखे।
इसके अतिरिक्त देश के अगले गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को मुख्यअतिथि बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कूटनीतिक कलाबाजी का परिचय देकर सबको चैंका दिया है। यदि सब कुछ ठीकठाक ढंग से चलता रहा और अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाता है तो यह उनकी विदेशनीति की महान सफलता होगी। ओबामा की भारत यात्रा से पाकिस्तान को जरूर परेशानी हो रही होगी। मोदी की विदेश नीति के चलते अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि मेें एक नया निखार आ रहा है। मोदी को कूटनीति का नया कौटिल्य कहा जाने लग गया है। इस दौरान मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता इराक में फंसी केरल की नर्सो को सकुशल वापस लाना और मौत की सजा पाए पांच मछुआरों की सकुशल वापसी भी रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार में जितने भी आपरेशन हो रहे हैं, वे सभी बड़े ही शांत भाव से हो रहे हैं। देश की राजनीति में सबसे बड़ा परिवर्तन यह देखने को मिल रहा है कि देश के हितों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत निर्णय लेने में कोई देरी नहीं लगाई जा रही है। जिसका असर भी दिखलाई पड़ रहा है। सार्क शिखर सम्मेलन में जब प्रधानमंत्री मोदी ने नवाज शरीफ से हाथ मिलाया तो उसके बाद पाकिस्तानी पत्रकारों और मीडिया ने भी मोदी की प्रशंसा के पुल बांध दिये। एक पत्रकार ने तो साफतौर पर कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी वाकई बहुत अच्छे व मजबूत प्रधानमंत्री हैं तथा उनमंें तुरंत निर्णय लेने की क्षमता है।

प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी सफलता यह होने जा रही है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने को लेकर उनके आहावन को जबरदस्त सफलता मिली है।संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग से फायदे को मान्यता दिये जाने सम्बंधी भारतीय प्रस्ताव को विश्व के 130 देशों का समर्थन मिला है। येे देश प्रस्ताव के साथ बतौर सहआयोजक जुड़े हैं। किसी भी प्रस्ताव को इस प्रकार से समर्थन मिलना अपने आप में एक रिकार्ड है। माना जा रहा है कि आगामी 10 दिसम्बर को इस प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए संयुक्तराष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया जायेगा। यह प्रस्ताव योग को स्वास्थ्य एवं कल्याण के प्रति ऐतिहासिक दृष्टिकोण मुहैया कराने वाले के तौर पर मान्यता देता है।

यदि विहंगम दृष्टि डाली जाये तो पता चलता है कि मोदी सरकार की विदेश नीति में नये आयाम जुड़ने जा रहे हैं। पहली बार किसी सरकार ने अपने सुरक्षा सलाहकार को चीनी सीमा विवाद का हल खोजने की जिम्मेदारी सौंपी है। अभीसबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान और चीनी विस्तारवाद ही है। पाकिस्तानी घुसप्ैाठ और फायरिंग जारी है। लेकिन पहली बार भारतीय सेना ने इतना अधिक दबाव बना दिया है कि पाकिस्तानी सेना व आतंकी गहरे दबाव में हैं। आने वाले समय में अब यह देखना है कि कितना निवेश आता है और कितनी गति से देश का विकास होता है।

–मृत्युंजय दीक्षित

3 thoughts on “प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति से भारत का बजा दुनिया में डंका

  • विजय कुमार सिंघल

    मोदी जी ने केवल ६ माह में ही देश की विदेश नीति को एक नया मोड़ दिया है. अब भारत अत्यंत महत्वपूर्ण देशों में भी सबसे आगे है. यह कोई साधारण परिवर्तन नहीं है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सिआसत में नुक्ताचीनी तो हमेशा होती रहती है लेकिन इस में कोई छक नहीं कि मोदी भारत को एक गिफ्ट मिला है . भारत बहुत उन्ती करेगा .

    • विजय कुमार सिंघल

      सही कहा, भाई साहब !

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