***** वक्त बदल गया है *****
लोग कह्ते हैं वक्त बदल गया है,
पर मुझे तो लगता है इंसान ,
बदल गया है!
वक्त तो हमेशा से ,
अपनी गति से चल रहा है!
पर ऊँचा उठने की चाह में,
इंसान और गिर रहा है!
हर तरफ़ बिखरा हुआ है,
स्वार्थ और लालच यहाँ!
रिश्तों को भी मतलब से,
निभा रहा हर इंसान यहाँ!
चीख रही इंसानियत रो
रो रही मानवता!
खुद ही खुद की लाश को,
ढ़ो रहा हर इंसान यहाँ!
विशवाश,अपनेपन,और ,
जज्बातों की कब्र पर,
रिशतों के फ़ूलों की
चादर, चढ़ा रहा है,
हर इंसान यहाँ!
लोग कहते है वक्त बदल गया है,
पर मुझे तो लगता है इंसान ,
बदल गया है!
...राधा श्रोत्रिय"आशा"
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बहुत अच्छी कविता. वास्तव में वक्त के साथ इन्सान बदलता रहता है.