कविता मुक्तक शान्ति पुरोहित 03/12/2014 अरुण की लालिमा भोर का स्वागत चाँद छिप जाता सूरज का स्वागत फूल खिल जाते कली खिल जाती किरणें रश्मि रथ साथ है आगत