कविता

मुक्तक

मापनी- 212 212 212 212 22

आज की रात तो प्यार की रात है दिलवर,

चाँदनी रात है ताज ही ताज है दिलवर,

ख्वाब ही ख्वाब है आज मेरे निगाहों में,

आज की रात में साज ही साज है दिलवर।

 

दिनेश”कुशभुवनपुरी”

3 thoughts on “मुक्तक

  • गुंजन अग्रवाल

    sundar

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह .

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