कविता

मंडी    (कविता)

 

मंडी    (कविता)

 

यह ज़िन्दगी

मंडी है व्यापारियों की

ज़िन्दगी नही है यह

नही है यह ज़िन्दगी

 

लग रहा है मोल

कदम कदम पर

लगा सकते हो तो लगा लो

पर मत करना

टालमटोल

क्युकी

यह ज़िन्दगी

मंडी है व्यापारियों की

ज़िन्दगी नही है यह

 

प्रश्न हो

शिक्षा में प्रवेश का

या हो शारीरिक उपचार का

जीवन का हो

या हो अवसर मृत्यु का

मूल्य तो चुकाना होगा

चुकाना होगा मूल्य

 

मूल्य

रोज़गार के लिए

मूल्य

अपने प्यार के लिए

मूल्य

बेजोड़ अनुबंधों के लिए

सभी संबंधों के लिए

चुकाना होगा मूल्य

सभी सांसारिक बंधनो के लिए

क्युकी

मुफ्त यहाँ कुछ नही मिलता है

भाई यहां भाई से भिड़ता है

पति   व पत्नी का क्या नाता रहा

बेटा अपनी माँ को

सामाजिक प्रतिष्ठा  के डर से पूछता है

 

आज मई खुद को

उस भीड़  में खड़ा पाता हु

जहां

पशु और पक्षी

परस्पर क्रीड़ा आते मिलते हैं

लेकिन

मनुष्य दूसरे मनुष्य को

घूरता दिखाई देता है

 

मिट चुके हैं मानवीय मूल्य

शून्य हो चुकी हैं संवेदनाएं

इसलिए

मेरे अंत: मन में

फिर व्ही आवाज़ आती है

 

यह ज़िन्दगी

मंडी है व्यापारियों की

ज़िन्दगी नही है यह…

ज़िन्दगी नही है यह….

(Mahesh kumar Matta)

(महेश कुमार माटा)

 

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]