मानवता
बस पलट गयी
करुण क्रंदन से वातावरण गूँज उठा ।
कुछ लोग आये
लगा फरिश्ता हैं
किन्तु
वो टटोल रहे थे
लोगों की जेबें !
समेट रहे थे
आभूषण औ कीमती सामान।
बस पलट गयी
करुण क्रंदन से वातावरण गूँज उठा ।
कुछ लोग आये
लगा फरिश्ता हैं
किन्तु
वो टटोल रहे थे
लोगों की जेबें !
समेट रहे थे
आभूषण औ कीमती सामान।
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बहुत सही लिखा है. ऐसी मानसिकता कई बार देखने को मिली है. मथुरा में एक बार रेल दुर्घटना हुई, तो आस पास के ग्रामीण घायलों कि सहायता करने की जगह लूटपाट करने लगे थे, जिनको बाद में संघ कार्यकर्ताओं ने लाठी फटकार कर भगाया.
नीचता है यह , इस पर मैंने कुछ वर्ष हुए लघु कथा लिखीथी , वक्त मिला तो कभी जय विजय में पोस्ट करूँगा .
अपनी लघुकथा अवश्य दीजिये, भाई साहब !
आभार