रिश्ते
जीवन के
पीले पड़ चुके
पन्नो में
प्रेम का
सुर्ख रंग
भरना चाहती हूँ
रिश्तों के
दरकते नींव को
विश्वास का
आधार देना
चाहती हूं
पाषाण हुए
दिलों में
संवेद्नाओ के फूल
उगाना चाहती हूँ
तन-मन को
झुलसा देने वाले
अंगार भरे शब्द
होठों पर ना आए
खामोशी अख्तियार
करने का पैगाम
देना चाहती हूं
पाट सके जो
दिलों की दूरियां
जज़्बातों से लबरेज
एक नया शब्द
गढ्ना चाहती हूँ
अधिकार और कर्तव्य
के बीच
फूल और तितली सा
हो संबंध
सबको समझाना
चाहती हूँ
दरमियान सबके
बिगड़े समीकरण को
संवाद अदायगी से
हल कर
हर चेहरे पर
मुस्कान सजाना
चाहती हूँ !!
***भावना सिन्हा ***
बहुत खूब .
v nice
वाह
वाह