सोचता तो होगा ख़ुदा….
सोचता तो होगा ख़ुदा ,मर्द बना कर कितनी गुस्ताखी की है उसने,
………. हर जगह अत्याचार , व्याभिचार का लगा दिया इन्होने बाज़ार!!
कहीं महिलाएं, बच्चियां तो कहीं, मासूम बच्चे हो रहे हैं इनके शिकार,
……………बहुत रोया होगा ,कई रातों न सोया होगा!!
इंसानियत के इन दुश्मनों को बना कर,
…………मर्द के रूप में हैवान दरिदों को धरती पर लाकर !!
काश ख़त्म हो जाये इनका धरती से वज़ूद ,
………. इन्हें कर दिया जाये नेस्तनाबूद,
नामर्दों को मिटा दिया जाये,
……….. फिर से धरा पर शांति, प्रेम, वफ़ा, करुणा बहाल हो जाये !!
इंसानियत के इन दुश्मनों को बना कर,
…………मर्द के रूप में हैवान दरिदों को धरती पर लाकर !!
काश ख़त्म हो जाये इनका धरती से वज़ूद ,
………. इन्हें कर दिया जाये नेस्तनाबूद,….bahut khoob
shukriya radha ji
बढ़िया लिखा है. वैसे मेरा विचार है कि खुदा अगर होगा तो दारू के नशे में टुन्न रहता होगा, वरना एक अनपढ़ आवारा यौन-पिपासु आदमी को अपना संदेशवाहक क्यों बनाता?