डोलू में बैठा भगवान
नंगे पाँव, मैला जिस्म
उस पर लटकता
फटा कुर्ता और
उस पर लटकता
फटा कुर्ता और
कमर से सरकती
फटी निक्कर
हाथ में छोटा डोलू
और
डोलू में बैठा भगवान
तुतलाती आवाज़
बगवान के नाम
कुछ दे दे अँकल
हाथ में भगवान
और भगवान
की कीमत एक रुपया
की कीमत एक रुपया
किसी ने दिया
किसी ने दुदकारा
कुछ बच्चों का
य़ू बचपन है संवारा
ऊँचे ऊँचे मंच पर
हजारों-लाखों खर्च
मंचों से दीखता रुवाब
जनता को बेचते
सुनहरे खवाब
सुनहरे खवाब
ये सेवा है या तिज़ारत
कहाँ है खाद्य सुरक्षा
कहाँ है शिक्षा अधिकार
मनरेगा हुई बेकार
गरीब आज भी है लाचार
सही चित्तर दिखाया गरीब बच्चों की जिंदगी का .
nyc
कटु सत्य कहा है इस कविता में !