सामाजिक

विज्ञापनों और होर्डिंगों में अश्लील प्रदर्शन

आधुनिक संचार माध्यम का उपयोग जहां बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है वही गलत सोच और द्रष्टिकोण की वजह से सस्ते और अश्लील प्रदर्शन को भी बढ़ावा मिला है आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल महिलाओं के प्रति अपराधों को बढ़ा रहा है तकनीक का प्रयोग अभद्रता और दुष्कर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया जा रहा है. कितनी शर्म की बात है, इन दुष्कर्मों के विडियो क्लिप भी प्रचारित कर दिए जाते हैं चेंनल्स के माध्यमों से विज्ञापन, होर्डिंग और इन्टरनेट से समाज में जो नग्नता और फूहड़ता प्रसारित हो रही है, ये उसी का असर है ये वो पैसे के लोभी, शिकारी रईसजादे है जो नग्नता और फूहड़ता बेचकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं और समाज में गन्दगी परोस रहे हैं प्रशासन को इसे प्रोग्राम और विज्ञापन जो नारी की गरिमा के खिलाफ है, तुरंत बंद कर देना चाहिए. इन्ही प्रसारणों, होर्डिंगों और विज्ञापनों की वजह से आज मानव मूल्य ध्वस्त हो रहे हैंहमारी सभ्यता और संस्कृति को धता बता कर नवयुवक सारी हदें पार कर रहे हैं महिलाएं आज पढ़ी-लिखी हैं, नौकरी पेशा भी हैं फिर भी उनको भोग्या समझ कर ही समाज में इन संचार साधनों के माध्यम से प्रचार -प्रसार किया जा रहा है, जो की उनकी अस्मिता और आत्मस्वाभिमान के विरूद्ध है. आईटम सोंग, शीला, मुन्नी, रजिया, अनारकली आदि अश्लील गीतों देकर समाज में अनैतिकता और अश्लीलता को बढ़ावा मिला है.संचार माध्यम, विज्ञापन , बाज़ार और उपभोक्ताओं के के बीच की प्रबल और सीढ़ी कड़ी हैं. जिनके माध्यम से बाज़ार उत्पादों की पकड़ ,जनता तक बनाता है और प्रत्यक्ष रूप से उनके मनो मष्तिष्क पर प्रभाव डालता है,प्रतियोगिता और बाजारवाद के संक्रमण से आज उपभोक्ताओं को रिझाने हेतु नारी देह का अश्लील प्रदर्शन और निम्न स्तर के संवाद का मीडिया और विज्ञापनों में होड़ जारी है , जो कि गिरी हुई मानसिकता और घटियास्तर का प्रदर्शन है.ऐसे में मार्केटिंग एवं विज्ञापन गुरु ‘भारत दाभोलकर’ का कर्म और चिंतन मीडिया कर्मी और व्यवसाईयों हेतु प्रेरक उदाहरण है , अगर रचनात्मकता और सार्थक प्रयास किये जाये तो वुमन एक्सपोसर और अश्लीलता की जरूरत ही नहीं है, और जनता तक अपनी बात बड़े साफ़ सुथरे और क्रिएटिव तरीके से रखी जा सकती है, उनके अनुसार जिनकी रचनात्मकता समाप्त हो चुकी है वाही सस्ते तरीके अपनाते, बात सौ फ़ीसदी सही है, अच्छी सोच और क्रियात्मक द्रष्टिकोण का समाज पर सार्थक प्रभाव पड़ता है और बात दिल को छूती है.

उनका ये वंक्तव्य समाज के मीडिया और व्यवसायी वर्ग के लिए बहुत सटीक सन्देश है कि अपने उत्पादों का प्रचार -प्रसार बिना अश्लीलता और सस्ते प्रदर्शन और संवादों के भी किया जा सकता है और समाज में एक सकारात्मक सोच, सही दिशा, और रचनात्मकता का उदाहरण पेश किया जा सकता है सरकार को भी इस तरह के अश्लील विज्ञापन और प्रदर्शनों पर रोक लगनी चाहिए और सभी को मिलकर सस्ते प्रदर्शन और अश्लीलता से भरपूर गानों, विज्ञापन और होर्डिंग्स का बहिष्कार करना चाहिए.

अनुपमा श्रीवास्तव (अनुश्री),
भोपाल, म.प्र

अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री'

परिचय नाम- अनुपमा श्रीवास्तव (अनुश्री) जन्मतिथि- 28 अगस्त शिक्षा- एम.एस.सी., एल.एल.बी. साहित्यिक अभिरूचियाॅं- कविता, कहानी, लेख, क्षणिकाऐं प्रकाशन - देश - देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविताओं का निरंतर प्रकाशन। विदेश- mauritius से प्रकाशित हिन्दी स्पीकिंग संगठन द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘सुमन’ और महात्मा गाॅंधी संगठन से प्रकाशित पत्रिकाएॅं ‘बसंत’ और रिमझिम’ में कविताओं और कहानी का प्रकाशन। - इन्टरनेट पर साहित्यिक गतिविधियाॅं - - अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद म.प्र. भोपाल - म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन भोपाल (म.प्र.) - अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल (म.प्र.) - बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र भोपाल (म.प्र.) प्रकाषन - बाल काव्य संग्रह ‘अवि, तुम्हारे लिए (2013) ‘काव्य पुस्तक’ प्रकाषनाधीन प्रसारण -‘आकाशवाणी भोपाल से कविताओं टॉक शो का प्रसारण नारी शक्ति कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन ‘दूरदर्शन ;मध्यप्रदेश’ द्वारा साहित्य समय ,परिवार ,काव्यांजलि ,कार्यक्रमों में कविताओं ,टॉक शो का प्रसारण एवं संचालन सम्मान - प्रोत्साहन सम्मान -2013 रंजन कलष भोपाल,द्वारा - साहित्यकार सम्मान 2013-कादबिनी पुस्तक मेला एंव नेषनल बुक ट्रस्ट,नई दिल्ली द्वारा - ‘अक्षर षिल्पी सम्मान 2013’( संस्कार सारथी ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा) - म.प्र. लेखिका संघ द्वारा बाल काव्य संग्रह ‘अवि, तुम्हारे लिए’ हेतु सम्मान - सार्वदेषिक कायस्थ महासभा, भोपाल द्वारा साहित्यकार सम्मान - जे एम डी प्रकाशन, नई दिल्ली, द्वारा ‘हिंदी सेवी सम्मान ’ 2014 - ‘राष्ट्रीय संचालन एवं संभाषण अलंकरण’ 2014, द्वारा निर्दलीय प्रकाशन ,दिल्ली अन्य गतिविधियाॅ - मंचसंचालन ( बिभिन्न साहित्यिक,सांस्कृतिक ,सरकारी शैक्षिक कार्यक्रमों का मंच संचालन) स्क्रिप्ट लेखन, गायन, संपादन अनुभव - उपसंपादन - ओजस्वनी अंतराष्ट्रीय पत्रिका सचिव - महिला महासंघ, म.प्र. भोपाल पता- अनुपमा श्रीवास्तव, अनुश्री ई-मेल - [email protected]

2 thoughts on “विज्ञापनों और होर्डिंगों में अश्लील प्रदर्शन

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख. विज्ञापनों में अश्लीलता एक बहुत बड़ी बुराई है. इसके लिए कानून हैं, परन्तु या तो उनका पालन नहीं होता, या उनसे बचने के लिए रास्ते बना लिए जाते हैं. इस सम्बन्ध में कठोर कानूनों की जरुरत है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सही कहा अनुपमा जी , मुझे तो समझ नहीं आती कि अश्लील इश्तिहार्बाज़ी की जरुरत ही किया है . यह इश्तिहार्बाज़ी इस तरह से भी तो हो सकती है जिसे हर शख्स देख सके . पंजाब में इतने अश्लील गाने गाये जाते हैं कि वोह घर में इकठे बैठे लोग सुन नहीं सकते लेकिन एक सिंगर ऐसा भी है यानी “गुरदास मान” . उस ने कभी अश्लील गाना गाया ही नहीं लेकिन पंजाब में वोह सब से अच्छा गएक माना जाता है . यहाँ के एक अखबार के तीसरे पेज पर हर रोज़ कोई ना कोई नंगेज़ फोटो होती है . एक दफा एक बड़े आदमी ने बोला था , some people can sell with or without page three .

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