“ना जमीं में हूँ ना आसमां में हूँ”
“ना जमीं में हूँ ना आसमा में हूँ,
तुझे छूकर जो गुजरी मैं उस हवा में हूँ।
ना नफरती बाजार में हूँ ना ही किसी के गुनाह में हूँ,
मैं मोहब्बत हूँ तो मोहब्बत की जुबां में हूँ।
मेरे दुश्मन भी मेरा कुछ कर नहीँ सकते,
मैं ईश्वर की कृपा में हूँ , बुजुर्गो की दुआ में हूँ।
मुझमें कभी भी घमंड मिल ही नहीँ सकता,
मैं खुशियोँ की दुकां मे हूँ फकीरों के मकां में हूँ।
मुझे कोई भी उम्र बूढ़ा कर ही नहीं सकती,
जब तक माँ के चरणो में हूँ तब तक जवां मैं हूँ…।।।”
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!
मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
और मुझे सही दिशा दे।
सरजी आभार।
बेहद खुबसूरत ….. God Bless you
मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
और मुझे सही दिशा दे।
शुभ शुभ आभार।
वाह वाह ! बहुत सुन्दर !!
मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
और मुझे सही दिशा दे।
सर जी शुभ शुभ आभार।