ब्लॉग/परिचर्चा

सुधर जाओ धर्म के ठेकेदारो

आजकल हिन्दू मुस्लिम विवाद कुछ ज्यादा ही गर्म पृष्ठभूमि में जी रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से बुराई निकलने के नाम पर एक दुसरे की कमियां निकली जा रही हैं। मुस्लिम हिन्दू समाज में चुन चुन कर कमी निकाल रहे हैं, शायद दाल बनाते समय कंकड़ भी कभी इतने ध्यान से न चुना हो। यद्यपि हिन्दू समाज भी इस मामले में पीछे नही है बस अन्तर केवल इतना है की कुछ दोगली धर्मनिरपेक्ष राजनीती के कारन थोडा दबाब में रहना पड़ता है।

तो यह बात है। अच्छा लगता है एक दूसरे की कुरीतियाँ और अन्धविश्वास उजागर करने में। लेकिन कहीं न कहीं यह मजहब के ठेकेदार करीतियाँ कम और आस्था पर आघात ज्यादा कर रहे हैं। और यह सोच सामाजिक कम राजनीतिक ज्यादा है। लेकिन यही आग जलती रही तो यह सोच केवल सामाजिक बन कर रह जायगी। जिस तरह माननीय वी पी सिंह जी मंडल लागू तो करके भाग गए (जो की एक राजनीती थी) लेकिन आज तक आरक्षण एक नासूर बना हुआ है जो एक सामाजिक रोग बन चूका ह। आब आप उसे चाहकर भी ख़त्म नही कर सकते। तो क्यों बन्ने देते हो सामाजिक सोच।

जो लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ते हैं तो वो यह याद रखें की आसाम में नक्सलवादी हमले करने वाले कौन हैं। हर सिक्के के 2 पहलु होते हैं। उनकी अच्छाई देखो बुराई नही। यही बात मुस्लिम समाज पर भी लागू होती है। और जो विरोधी धर्म के ठेकेदार हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा पर सवाल खड़े करते हैं वो इतना समझ लें की उन्हें कोई अधिकार नही किसी की आस्था पर आघात करने का। क्योंकि आस्था चाहे मूर्ती पूजा की हो चाहे हज पे जाने की। आस्था तो आस्था है। आज की यह गलतियां आने वाले कल के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।

मै हिन्दू हूँ और फिर भी मैं पूजा से ज्यादा कर्म में विश्वास रखता हूँ। लेकिन इसका अर्थ यह नही की परिवार के अन्यय सदस्यों पर अपनी राय थोपुं। सबको अधिकार है अपने मन मुताबिक पूजा करने का। चाहे वो मूर्ति पूजा हो या दरगाह पे चादर चढ़ाना हो। अपनी जगह सभी ठीक हैं।
वैसे भगवन चाहे माता रानी के रूप में हो, मोहम्मद पैगम्बर के रूप में, मेरे कान्हा के रूप में, जीसस क्रीज़ के रूप में या अन्य किसी रूप में। उसका केंद्र बिंदु तो एक ही है। वो न हिन्दू है। न मुसलमान। न ईसाई। वो तो सर्वशक्तिमान ईश्वर है जिसका कोई नाम नही। यह तो हम मुर्ख लोग हैं जो उसको अपनी इच्छा अनुसार देखना चाहते हैं। वो भी सोचता होगा की मैंने तो इंसान बनाया था लेकिन यह हिन्दू मुसलमान कैसे बन गए। कैसे बन गए।

(ईश्वर सबको सद्बुद्धि दे)

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

3 thoughts on “सुधर जाओ धर्म के ठेकेदारो

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया लेख, माटा जी. लोगों पर इसका कोई प्रभाव होगा, इसमें मुझे संदेह है.

  • जवाहर लाल सिंह

    सुन्दर विचारपरक आलेख

    • महेश कुमार माटा

      धन्यवाद जवाहर जी।

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