कविता

एक और बटवारा होगा

15 अगस्त 1947 का
कौन सा मनहूस समा होगा
दोगले नेताओ ने जब
हिंदुस्तान की पाक जमीं को
2 टुकड़ो में तोला होगा
23 उधर जाओ
77 इधर आओ
क्या सोचकर बोला होगा

ऐ आज़ाद देश के गुलाम नेताओ
मुझे ज़रा एक बात सोच समझ के बताओ
जो तब था वो आज भी ह
आधे उधर भी हैं
आधे इधर भी हैं
परिस्थितियां तब भी संगीन थी
परिस्थिफियां संगीन आज भी हैं
लोग तब भी मरे थे
लोग मर रहे आज भी हैं
बोलो अमन और चैन का
अभी कोई तो किनारा होगा
या आज फिर से
एक और बटवारा होगा
एक और बटवारा होगा

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

2 thoughts on “एक और बटवारा होगा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सही लिखा है .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सही लिखा है.

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