अब तुम गई हो तो …….
नया साल बेदर्द ले गया
वो सुकून जो था मेरा
दिल्ली का कोहरा
अरमानों के असमान पे
दलने लगा बर्फीली हवाओं के
काले सफेद अधमरे रंग
सूरज की किरणे भी थीं दंग
क्यूँ न कर सकीं कोहोरों के
विश्वासघातक हमले भंग
दिल भी बहुत मजबूर हुआ
चाहे ये गलीयाँ अब सूनी हों
पर तेरी यादों के लिहाफ में
अब मेरा बसेरा यहीं होगा
बर्फीला तूफ़ान जो भी होगा
मुझे इंतज़ार बस तेरा होगा
सोचा ना था
वक़्त कभी यूँ लुटेरा होगा
क्या कहते हो क्या कभी फिर
कोई नया सवेरा होगा
या बस अँधेरा जो आया है
तो अब से अँधेरा ही होगा
……..इंतज़ार
badhiyaa
किशोर जी आभार ….सादर
वाह वाह !!
विजय जी थैंक्स …..