शिशुगीत

शिशुगीत – 5

१. टीवी

चुटकी, भीम, कालिया, राजू

सबसे हमको मिलवाता

डोरेमॉन, घसीटा, मोटू

पतलू के घर ले जाता

डिस्कवरी चैनल टीचर सा

बातें नयी बताता है

छुट्टी मिलते टीवी देखो

मजा बहुत ही आता है

 

२. चॉकलेट

चॉकलेट से बढ़िया कुछ ना

तुम भी दिनभर खाओ जी

पॉकिटमनी मिले जितनी भी

सारे की ले आओ जी

 

३. टीचर

हमको रोज पढ़ाते हैं

अच्छी बात बताते हैं

नहीं मारते कभी हमें

होमवर्क दे जाते हैं

 

४. तारे

तारे कितने सारे हैं

दीपक से उजियारे हैं

गिन-गिनकर थक जाता हूँ

जाने कब सो जाता हूँ

 

५. पेंसिल

धड़-धड़, धड़-धड़ चलती है

लिखता ही मैं जाता हूँ

१० में १० नंबर हरबार

परीक्षाओं में लाता हूँ

 

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन

One thought on “शिशुगीत – 5

  • विजय कुमार सिंघल

    कुछ और अच्छे शिशु गीत ! बहुत खूब अजीतेंदु जी.

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