गीतिका
ये दिल सबका करता स्पंदन।
उस दिल को है मेरा वंदन॥
नगर-नगर में बजा ढिंढोरा।
गली-गली है महका चन्दन॥
प्रेम नगर की है ये भाषा।
हर प्रेमी करता अभिनंदन॥
जात-पात को नहि ये माने।
करलो चाहे जितना क्रंदन॥
अमर रहा है अमर रहेगा।
हर प्रेमी जोड़ी का बंधन॥
दिनेश”कुशभुवनपुरी”
वाह वाह ! बहुत खूब !!