कहानी

ह्रदय परिवर्तन….

”रामा ने पढना चाहा,पर घर वालो ने ने उसकी एक नहीं सुनी| आज ससुराल मे उसकी जो हालत है उसका कौन जिम्मेदार है ? वो खुद या उसके माता -पिता| सास ने कभी उसे एक नौकर से ज्यादा नहीं समझा| यहाँ तक पति ने भी कभी प्यार से उसका नाम नहीं लिया
‘कल रामा बिटिया को लडके वाले देखने आने वाले है,उसे अच्छी तरह से समझा देना|,गिरधारी लाल जी ने अपनी पत्नी उमा देवी से कहा|
”आप चिंता ना करे सब समझा दूंगी|”, उमा देवी ने पति को आश्वसत करते हुए कहा| रामा ने माता-पिता की बात को सुना,वो घबरा गयी| अभी मेरी उम्र ही क्या है? मै तो पढना चाहती हूँ| सातवीं कक्षा पास की है मुझे अभी बहुत पढना है| पढ़-लिख कर बड़ी मेम बनना है | वो मन ही मन ये सब सोच रही थी| तभी उसकी  चाची आयी उसके पास ”रामा लो ये कपडे पहन कर कल अच्छे से तैयार हो जाना| कल तुम्हे लडके वाले देखने आने वाले है|,
चाची से रामा अपने मन की बात कहती थी | ”चाची आप माँ-बापू को कहिये ना ,मुझे नहीं करनी अभी शादी| मै पढना चाहती हूँ|,रामा ने रूआसी होते हुए कहा| चाची क्या बोलती उसे बडो के बीच मे बोलने की कहाँ इज़ाज़त थी| वो सुनकर वहां से चली गयी|
चाची ने रामा के चाचा से उसी वक्त कहा जब उसके रिश्ते की बात घर मे होने लगी| पर उसको फटकार दिया गया|
आज घर को करीने से सजाया गया| अनमने मन से रामा तैयार हुई| लडके वालो का इंतजार होने लगा| नियत समय पर वो लोग आ गये|
रामा एक कमरे मे अकेली बैठी अपनी पेशी का इन्तजार कर रही थी| आज उसकी स्कूल मे क्लास टेस्ट भी था| पर वो मजबूर थी| रामा के चाचा सबको घर के अंदर लेकर आये| तीन चार आदमी उतनी ही औरते थी| आपस मे अभिवादन का दौर खत्म होते ही सब बाते करने लगे|
चाची और बुआ जलपान लेकर आ गयी सबने जलपान किया|बाते करते बहुत देर हो चूकी थी| अब लडके की माँ अपनी होने वाली बहु को देखना चाहती थी| रामा की दादी का इशारा मिलते ही चाची रामा को बुला लायी | रामा घबराहट के मारे कांप रही थी| चुप-चाप हाथ बांध कर खड़ी हो गयी|
‘घर का सारा काम कर लेती हो?,लडके की माँ ने पूछा | रामा ने गर्दन हिला कर हामी भरी| वो और कुछ पूछती तभी दादी ने इशारा कर दिया उसे अंदर ले जाने का, चाची उसे लेकर चली गयी| दो माह बाद शादी की तारीख तय करके लडके वाले चले गये|
आज रामा का ससुराल मे गृह प्रवेश हुआ| दिन भर रस्में चलती रही| रात होते होते वो थक कर चूर हो गयी और सो गयी| थोड़ी देर मे सास ने आकर उठाया ” ये बापू का घर नहीं, ससुराल है यहाँ सबके सो जाने पर ही बहु सो सकती है|, सास ने चिल्लाकर कहा| रामा आँखे मुंदती उठकर बैठ गयी |
घर मे काम करने वाले नौकर थे| वो नहाकर तैयार होकर अपनी किताब जो वो घर से लायी थी लेकर पढने बैठ गयी| पर उसे क्या पता सास को उसका पढना लिखना बिलकुल पसंद नहीं| सास ने आकर किताब हाथ से लेकर फाड़ दी| रामा बहुत रोई पर उसे वहां चुप करने वाला कोई नहीं था|
पर कुछ समय तक ऐसे ही चलता रहा| रामा ने आखिर रास्ता निकाला सबके सो जाने पर वो अपनी पढाई करने लगी|
जैसे तैसे उसने दसवी पास करी| आगे पढने के लिए तो पति की इजाजत लेनी थी| जैसे तैसे कर के पति को आगे की पढाई के लिए राजी किया| सास को जैसे ही पता चला की रामा अपन पढाई चालू रखे हुए है| उसने घर मे कोहराम मचा दिया| बहु के घर से निकलने पर रोक लगा दी| अब रामा के सामने विकट समस्या थी| कैसे चालू रखेगी वो आगे की पढाई? कुछ कर नहीं पा रही थी|
रामा चुप करके बैठ गयी| कुछ महीनों बाद उसके पति की मोटर दुर्घटना मे मौत हो गयी| अधेरे के आलावा अब उसके जीवन मे कुछ नहीं बचा था| ससुराल मे कठोर विधवा जीवन जीने के लिए बाध्य रामा इसे अपना पाप कर्म मानकर सहने लगी|
इसे रामा की किस्मत ही कह सकते है कि एक दिन उसकी सास के भाई साहब घर आये| यहाँ आकर मासूम बहु का जो हाल देखा तो बहुत दुखी हुए| अपनी बहन से कहा ”बहना बहु का ये क्या हाल बना दिया आप लोगो ने क्या आपको कोई दर्द नहीं है इसके दर्द का ? क्या ये घुट-घुट कर जियेगी उम्र भर ? अभी इसकी उम्र ही क्या है?,
रामा की सास ने कहा ”आप ही बताओ क्या हो सकता है इसका ?,इसके दुर्भाग्य से हमने अपना बेटा खोया है इसकी किस्मत मे ही सुख नहीं है तो हम क्या कर सकते है |”
”बहना बहु को अपना जीवन अपने ढंग से जीने की इजाजत दो| उसे खुली हवा मे साँस लेने दो| वो भी इंसान है|, पहले तो रामा की सांस बौखला गयी| ये सब सुनकर पर भाई के समझने पर आखिर उसका ह्रदय परिवर्तन हुआ| उन्होंने बहु को पढने की इजाजत दे दी|| पढने मे तो वो तेज ही थी,रामा ने कुछ सालो की मेहनत के बाद सरकारी स्कूल मे अध्यापिका की नौकरी हासिल कर ली थी|
अब तो उसके सास-ससुर चाहते है कि रामा अपनी नई गृहस्थी बसा ले उन्हें कोई एतराज नहीं है| पर रामा ये नहीं चाहती है वो अपने सास -ससुर के पास रहकर उनकी सेवा मे अपना जीवन लगाना चाहती है| सास-ससुर का रामा के प्रति बदला रवैया अब रामा को उनको छोडकर कहीं और जाने की इजाजत ही नहीं देता है| सास-ससुर के रामा के आलावा कोई नहीं है|
शांति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

4 thoughts on “ह्रदय परिवर्तन….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ऐसी कहानिओं से एक एक परिवार में भी परिवर्तन आ जाए तो शान्ति बहन आप की कहानी वरदान साबत होगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कहानी. अगर घर या रिश्तेदारी में कोई ऐसा समझदार व्यक्ति हो तो सारी समस्याएं हल हो जाएँ.

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