किरन बेदी : दिल्ली की राजनीती में अहम् परिवर्तन
पिछले दिनों दिल्ली की राजनीति में एक हड़कंप सा मच गया है। यह हड़कंप सिर्फ इसलिए है की माननीय किरन बेदी जी ने राजनीती में आने का निर्णय लिया है। भारतीय जनता पार्टी के झंडे तले सुश्री किरन बेदी जी मुख्य मंत्री के पद के लिए केजरीवाल की टक्कर में चुनाव में खड़ी हो रही हैं। लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों को यह बात हज़म नही हो रही। क्योंकि जो लोग ईमानदारी का झूठा नकाब जोड़कर नेताओं के तलवे चाट रहे थे वो अब इस डर से बेहोश हो रहे हैं की एक साफ़ सुथरी छवि की नेता दिल्ली की राजनीती में आ रही हैं और उनकी जीत निश्चित है।
अब आश्चर्य यह है की यह कुछ लोग किरन बेदी जी की सिर्फ इसलिए बुराई कर रहे हैं क्योंकि एक समय था जब इन्होंने राजनीती में आने को मना किआ था। लेकिन अब अचानक मुख्यमंत्री पद के लिए चुनावी मैदान में उतारते ही विपक्षी दल इनकी आलोचना क्र रहे हैं। यही नही यह लोग उनके इस रवइये को थूक के चाटने की संज्ञा दे रहे हैं।
लानत है ऐसे लोगो पर जो इतनी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ भूतपूर्व पुलिस ऑफिसर पर ऐसा लांछन लगाते हैं।मै इन् लोगों से यह पूछना चाहता हु की इस देश में हरिश्चंद्र कौन है। कौन है जो वक़्त की नज़ाकत देखते हुए अपने विचार नही बदलता या फिर आपने निर्णय नही बदलता।
मुझे याद है हम लोग कई बार वक़्त के विपरीत माहोल को देखकर कई बार सच नही बोल पाते और डर कर चुप बैठ जाते हैं। लेकिन जब हम यह जानते हैं की अब कोई है जो हमारे साथ है तो हम खुल कर सामने आते हैं और सच का साथ देते हैं। क्योंकि मेरे विचार में जल्दी में या जोश में आके सच बोलके शहीद होने से बेहतर है की हम इंतज़ार करें और कब माहोल हमारे पक्ष में हो तो खुल के सामने आएं और सच के लिए लड़ाई करें।
किरन बेदी जी जब तक पुलिस विभाग में रही खुल के कानून और सच का साथ देती रही। कांग्रेस ने भी खुल के बदला लिया और किरन बेदी जी को अपने तरीके से परेशां किया। वकीलों को, नेताओं को, आम आदमी को….सभी को उसने एक तराज़ू में तोला और न्याय का साथ दिया।
अब मोदी सर्कार से जब उन्हें समर्थन मिला और इन्हें माहोल अपने पक्ष में दिखा तो राजनीती में कदम रखा है। जहां तक थूक के चाटने की बात है तो आम आदमी पार्टी ने यह काम बखूबी किआ है। आज दिल्ली को किरन बेदी जैसे दबंग नेताओं की आवश्यकता है। हैरानी तो यह है की एक तो राजनीती पहले ही दागी नेताओं से भरी पड़ी है और ऐसे में कोई शरीफ और दबंग नेता राजनीती में आना चाहता है तो हमे उसका स्वागत करना चाहिए न की यह आलोचना की उसने कभी राजनीती में आने से मना किआ था और आज उसने हाँ क्र दी है। यह कोई सभ्यता नही की हम इन् छोटी मोटी बातो को याद दिलाकर ऐसे शरीफ सच्चे और दबंग नेताओं का रास्ता रोके। और जो लोग किरन जी का केवल इसलिए विरोध क्र रहे हैं की वो जिस बीजेपी या मोदी जी के विरुद्ध बोला करती थी आज व्ही बीजेपी के बैनर तले चुनाव लड़ रही हैं तो उन्हें यह बात समझनी चाहिए की विचारधारा का किसी पार्टी विशेष से सम्बन्ध नही होता। किरण जी किस भी पार्टी से टिकट लेंगी चुनाव जीतेंगी क्योंकि उनकी व्यक्तिगत छवि खुद में एक विजय रथ है। तो फिर आओ मिलकर सुश्री किरन बेदीजी का सस्वागत करें।
बहुत खुशी की बात है एक इमान्दार पुलिस आफिसर अपने कार्य क्षेत्र में इमान्दारी दिखाकर अब राजनीति में भी इमान्दारी दिखाने का प्रयास कर रही है हमें ही नहीं बल्कि पुरी जनता को उम्मीद है कि यदि ये किसी भी पार्टी से आये उस पार्टी से मतलब नहीं है उन्हें अपने ईमानदारी पूर्वक कार्य से मतलब रहेगा।राजनीति एक रास्ता है वहाँ तक जाने का।
जी रमेश जी।।सही कहा आपने
किरण जी जिस भी पार्टी से आ जाएँ वो विजयी होनी चाहिए।
बिल्कुल सही कहा आपने,होना भी चाहिए यही।
महेश कुमारजी आप खुश किस बात से है किरण बेदी के राजनीति में आने से या किरण बेदी के भा ज पा में आने से ?
उनके राजनीति में आने के समय पर जो आप सफाई दे रहे हैं क्या उसकी पुष्टि किरण बेदिजी भी करेंगी ? अगर हाँ तो मैं पूछना चाहता हूँ किरणजी से ,की जिन मोदीजी के नेतृत्व की बीन वह अब बजा रही है उसमे से तब बेसुरे सुर क्यूँ निकल रहे थे जब मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री थे ? क्या तब वो बिना किसी नेतृत्व गुण के ही गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री बने थे ? और फिर उनको बी जे पी में उम्मीद नजर आके खुल कर सामने आने में अन्ना के आन्दोलन से गुजरने तक का समय क्यूँ लगा ? क्या मोदीजी ने कभी भी अन्ना आन्दोलन में उनके सक्रीय होने पर कोई सकारात्मक टिपण्णी की ? और तब नहीं तो जरा बताएँगे किरणजी को की अब उनके क्या विचार हैं जन लोकपाल के आन्दोलन के लिए ,जनलोकपाल के मुद्दे के लिए ?अपने राज्य में लोकपाल को ले कर मोदीजी ने क्या किया ये क्या आप नहीं जानते ? अब उन्ही मोदीजी के तारीफ़ के पुल किरणजी बाँध रही है तो क्या ये माना जाय की किरण बेदी भी अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को अंजाम देने के लिए मात्र अन्ना आन्दोलन से जुडी थी ? और जनलोकापाल का समर्थन एक ढोंग था ?? जैसा की आप लोग अन्ना के रास्ते राजनीति में आनेवाले अन्य आन्दोलनकारियों पर आरोप लगाते हो ?
क्या भा ज पा के पास किरण बेदी की तौल का कोई नेता नहीं या फिर भा जा पा की उतनी काबिलियत नहीं की वो कोई किरण बेदी इस देश को दे ? बताइये और कितनी किरण बेदी है आपके पास ? हम तो जब से भा ज पा सत्ता में आई है लोगों को चार और दस बच्चे पैदा करने की सलाह देने वाली ही देख रहे हैं !!
पहली बात मेरा और मेरे सभी साथियों, जिसमे दिल्ली पुलिस कोर्ट स्टाफ और अन्यय कुछ लोग हैं इनका समर्थन किरन जी के साथ है और रहेगा। चाहे वो भाजपा से हो या किसी और पार्टी से हो। क्योंकि विचारधारा किसी पार्टी तक सीमित नही होती।
दूसरी बात किरन ने गुजरात परिप्रेक्ष्य में क्या कहा और क्या किआ और मोदी जी के सन्दर्भ में इनके क्या सम्बन्ध हैं हमे कोई लेना देना नही है। हमारे लिए इतना ही काफी है की किरन जी ने अब तक जो किआ वो ठीक किया और हमेशा सिस्टम सुधरने के लिए आगे रही।
हाँ बुराई तो सबकी होती है तो जिनको किरण के आने से भय दिखाई दे रहा है वो बुराई भी करेंगे।
और जिस जनलोकपाल की बात क्र रहे हैं वो कौन सा लोकपाल है। आपको बताना चाहता हु की जो लोकपाल अण्णा जी लाना चाहते थे वो पब्लिक के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता था और कुछ नही।
Just wait n watch…. किरन जी से जो प्रश्न पूछना चाहते हैं जरूर पूछिए।
बाकि हमारी राय तो किरण जी के साथ है। और हम जो दिल्ली में रहते हैं तो किरन जी को हमसे बेहतर कौन जान सकता है। 😛
इतनी इमानदार और अपने काम को पसंद करने वाली किरण बेदी को दिली का सी एम होना ही चाहिए , वोह दिली को साफ़ कर के रख देगी . जो लोग मुखालफत कर रहे हैं वोह इमानदार नहीं हैं .
आपने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है। किरण बेदी जैसी ईमानदार और कर्मठ महिला का राजनीति में आना एक अभिनंदनीय निर्णय है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं या करेंगे, जनता उनको उचित दंड देगी। दिल्ली की आम जनता उनके आने से बहुत ख़ुश है।
विजयजी क्या किरण बेदी आप पार्टी में शामिल होती तब भी आप यही कहते ?
मै तो तब भी यही कहता। क्योंकि जो लोग किरण बेदी की बुराई सिर्फ इसलिए क्र रहे हैं क्योंकि वो भाजपा के झंडे तले आई हैं तो यह एक संकीर्ण मानसिकता है और कुछ नही।
और हाँ केजरीवाल जैसे व्यक्तित्व पर कभी विश्वास नही क्र सकता चाहे वो किसी भी पार्टी से आएं।
परदेशी जी, अगर किरण बेदी जैसी कर्मठ और ईमानदार महिला ने आआपा के बजाय भाजपा में आने का फैसला किया है, तो अवश्य उसका कोई मजबूत कारण रहा होगा. ऐसी महिलाओं की प्रशंसा मैं पहले भी करता था. आपको बताऊँ कि जब अन्ना हजारे के मंच पर अनेक नेता खड़े थे, तब मैंने अपनी श्रीमती जी को इशारा कर करके बताया था कि इनमें केवल २-३ लोग ही ठीक हैं. उनमें एक किरण बेदी भी थी.
तो उनमे और एक दो कौन थे ये भी बता दीजिये ! कहीं शाजिया और बिन्नी तो नहीं !