ग़ज़ल
आग , पानी, आसमाँ, मिट्टी, हवाएं ले गया ।
वो मेरे जीने की सब संभावनाएं ले गया ।
बारिशें, बादल, समंदर, रेत, दरिया, चाँदनी ।
संगदिल मौसम लबों से प्राथ॔नाएं ले गया ।
दर्द, आँसू, धूप, आँधी, बेरुखी , तनहाइयाँ ।
सब मुझे देकर मेरी शुभकामनाएँ ले गया ।
चाहतें, श्रद्धा, समर्पण, नेह पूजा , भावना ।
एक झोंका उम्र भर की आस्थाएं ले गया ।
गरदिशें, लाचारियाँ , दुशवारियाँ, नाकामियाँ।
वक्त का सैलाब सारी साधनाएं ले गया ।
शानदार ग़ज़ल !
बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है जी.