मौसम का आनन्द
कभी ठन्ड बारिश का, मुझको खौफ दिखा करके।
कब तक रोकोगी मईया, आंगन में आने से।
माना हम हैं आज सुरक्षित, तेरे आंचल में।
पर कब तक रखोगी मईया, ढककर आंचल से।
ढका रहा गर आंचल में, क्या दुनिया देखूंगा।
देख न पाया दुनिया तो, क्या राह दिखाऊंगा।
फिर मईया का लाल, क्षितिज तक कैसे जायेगा।
रोको ना मईया आज मुझे, जग देखके आना है।
धूप ठन्ड बारिश के संग ही, जीवन जीना है।
— राज रघुवंशी
बढ़िया, लेकिन इस पर और अधिक अच्छी कविता लिखी जा सकती है.
जी कोसिस रहेगी
बहुत अच्छी लगी.
आभार