एक प्रेम कविता
देखते ही तुझको दिल में मेरे,
उड़ने लगे फव्वारे!
मची पक्षियों की चहल-पहल,
वो भँवरो के गुनकारे।
शबाबी बाग में जाकर भी,
साँस नहीं ले पाता हूँ!
क्यूंकि, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।।
राज़ करती हो दिल पर तुम मेरे,
एतराज़ करता फिरुँ क्या दिन भर तेरे?
रात के आँखो के पीछे का वो चेहरा;
दिलाता मुझे इस जहाँ का है पहरा।।
तुझे मिलने को पल-पल बेकरार रहता हूँ,
पर मन में ही तुझसे इज़हार करता हूँ!
क्या पता-
जब मिलोगे तुम मुझको,
तब बता पाऊँगा कि…
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।।
बढ़िया. और बेहतर लिखने की कोशिश करो. स्पेल्लिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है.