सामाजिक

पर्यटकों के साथ लूट

महाबलेश्वर महाराष्ट्र के सतारा जिले के अंतर्गत आने वाला एक मशहूर पर्यटन स्थल जहां न सिर्फ़ दूर दराज के लोग छुट्टियां का आनंद मनाने यहां आते हैं बल्कि आस पास के कई शहरों के लोग यहां साप्ताहिक छुट्टी मनाने भी आते हैं , यहां तक कि स्कूल के बच्चों को भी यहां पिकनिक मनाने लाया जाता है , हिल स्टेशन होने की वजह से महाब्लेशवर का तापमान काफी कम रहता है और यहां पहाड़ों से नीचे देखने पर काफी मनोरम दृश्य दिखता है, यहां के पर्यटन स्थल व स्ट्राबैरी की खेती पर्यटकों के लिए प्रायः आकर्षण का विषय रही है ।

आज भी महाब्लेशवर बिल्कुल वैसा ही है जैसा पच्चीस साल पहले था जब हम स्कूल के साथ पिकनिक पर जाते थे , कुछ नहीं बदला वहां पर , वही आधे कच्चे आधे पक्के रास्ते , वही खा कर कचरा फेंका हुआ , वाहनों की पार्किंग की समस्या , वही घाट पर गहरी खाई की तरफ बस नाम मात्र के लिये बनी हुई ओट ,जहां पर अगर गाडी अपना संयम खो देती है तो सीधा कई फुट गहरी खाई में जा कर गिरेगी , वही पर्यटन स्थलों पर कच्चे धूल के रास्ते ।

हां कुछ चीजों में जरूर बदलाव आया है जैसे कुछ दुकानों व होटलों में बडोतरी हुई है साथ ही बदला है वहां का नियम व कानून , पहले महाब्लेशवर जाने पर सरकार की तरफ से कोई कर न था अब वहां आने वाले हर व्यक्ति को पर्यटक कर चुकाना पडता है वह भी न सिर्फ़ प्रति व्यक्ति बल्कि गाडी का भी polution कर लगता है , चाहे आप के पास PUC हो न हो यह कोई नहीं देखता बस आपको पैसे भरने है , और सबसे बडी बात यह कि यह कर आपसे सिर्फ़ एक जगह नहीं लिया जाता बल्कि पाचगनी शुरू होती ही आपसे कर वसूलना शुरू हो जाता है व उसके बाद महाब्लेशवर में भी वही, जैसे आपने कदम रखा आपकी गाडी को रोक दिया जाता है ज़रा सी भी आपने ना नुकुर की तो तीन-चार आदमी घेर लेते हैं कि “नहीं साहब ये सरकार का नियम है आपको भरना पडेगा ”
यह पूछने पर कि” भाई किस बात का कर वसूल रहे हैं आप ? अगर पर्यटक आता है तो वहां के आम आदमी के साथ -साथ सरकार को भी तो फायदा होता है ”

लेकिन एक ही जवाब कि” वो हम कुछ नहीं जानते बस आपको कर भरना ही पडेगा ” अब बिचारा बीबी बच्चों को घुमाने आया आदमी इतने लोगों को देखकर क्या बहस करे ? सो वह मन मसोस कर भर देता है

सिर्फ़ यही तक बात होती तब भी ठीक था , मगर जब वहां के दार्शनिय स्थल देखने जाओ तब फिर वही प्रति व्यक्ति व गाडी का कर आपको भरना होता है ,फिर पूछने पर वही रटा रटाया सा जवाब मिलता है ।

मगर वहां किस बात का कर लिया जा रहा है यह सोचने लायक विषय है , न वहां के रास्ते बनाये जा रहे हैं , न गाडीयो के पार्किंग की सही व्यवस्था है , न घाट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम हैं , तो फिर आने वाले पर्यटकों से यह लूट क्यूं ?

वही जहां हर प्रदेश पर्यटकों को बुलाने के लिए लुभावने प्रस्ताव देता है वहीं महाराष्ट्र की सरकार ऐसे नियम बना रही है जिससे न सिर्फ बाहार से आने वाले लोग बल्कि महाराष्ट्र के लोग भी जाने में खिन्न महसूस करें , यह एक गंभीर सोच का विषय है ।

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - [email protected]

One thought on “पर्यटकों के साथ लूट

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के साथ होने वाली लूट बहुत शर्मनाक है. मुझे भी कई जगह ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ा है.

Comments are closed.