चपत
कभी रिश्तेदारी में
कभी दोस्ती यारी में
और तो और
कभी मेहरबानी में ….
दुःख क्या ..
टुटा तब पहाड़
रुपये-पैसे की
चपत लगी यार
जब कंगाली में ..सविता
कभी रिश्तेदारी में
कभी दोस्ती यारी में
और तो और
कभी मेहरबानी में ….
दुःख क्या ..
टुटा तब पहाड़
रुपये-पैसे की
चपत लगी यार
जब कंगाली में ..सविता
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अच्छी क्षणिका
शुक्रिया
भावुक कविता .
धन्यवाद भैया