सिर्फ ५१ हजार ? ओवैशी, कुरैशी ५१ करोड़ देंगे !!
ओवैसी हजरात आपने दस मुसलमानों को दंगाइयों से बचाने वाली एक हिन्दू महिला पर एक ताना नुमा राजनैतिक तड़के वाला बयान तो दे दिया लेकिन क्या आपने देखा की उस महिला को एक हिन्दू मुख्यमंत्री ने मात्र ५१ हजार का ही इनाम दिया ? लेकिन आप बात बात पर मुस्लिम्परस्त होने का दावा करने वाले बंधुओ से मैं पूछना चाहता हूँ की याकूब कुरैशी की तरह अपनी इस्लामपरस्ती को दुनिया के सामने साबित करने के लिए क्या अब आप भी अब उन दस रसूल के आशिकों को बचानेवाली हिन्दू महिला को ५१ करोड़ का इनाम घोषित करोगे ? या फिर ये कहोगे की उस हिन्दू महिला द्वारा बचाए गए दस मुसलमान रसूल के आशिक नहीं ?
भाईसाहब आप के हाल ही के बयान के अनुसार तो ये आपका विश्वास है की दुनिया में हर कोई पहले मुसलमान पैदा होता है बाद में वो और किसी मजहब का होता है ! सही है न ? मतलब दुनिया के लिए छोडो कम से कम आपके लिए आपके विश्वास के कोई मायने होंगे तो ये आपके लिए सौ प्रतिशत सही है न की दुनिया में हर कोई पहले मुसलमान पैदा होता है ? फिर तो मेरे अमनपसंद भाईसाहब सिर्फ अजीजपुर बलियार गाँव के ही क्यूँ आपको तो हर दंगे में हर मजहब के लोगों को बचाने वालों को भी ऐसा ही कोई इनाम रखना चाहिए जैसा हाल ही में याकूब कुरैशी ने अपनी इस्लाम्परस्ती की मिसाल कायम करने के लिए रखा था !
क्यूँ ? अब आप कहेंगे याकूब कुरैशी का ठीकरा मुझपर क्यूँ फोड़ा जा रहा है ? मैं तो ये हूँ ….मैं तो वो हूँ !! जी बिलकुल हम भी मानते हैं आप ये भी हो और वो भी ! लेकिन एक बुनियादी समानता आप में और याकूब कुरैशी जैसे लोगों में सिर्फ इतनी नहीं है की आप दोनों सिर्फ मुसलमान हो बल्कि यह है की आप दोनों रसूल के आशिकों की कद्रदानी में सबसे आगे होने का दिखावा करते हो ! और सबुत के तौर पर आप खाली बयान देते हो तो कुरैशी इनाम देते हैं !
अब आप की तरह कोई ओवैसी हो या कुरैशी मैं आप जैसे लोगों से ये पूछना चाहता हूँ की जब कथित ईशनिंदा के लिए दस पत्रकारों को (जो की वे भी ओवैसी साहब के अनुसार जन्म से मुसलमान ही थे !) जान से मारने वाले दो मुसलमान आप के लिए ५१ करोड़ के इनाम के हकदार हो सकते हैं तो दस रसूल के आशिकों की जान बचाने वाली महिला को आप कितने करोड़ के इनाम का हकदार मानोगे ? गणित सिखा है या मैं कैलकुलेट कर के बताऊँ ?
फिर दस मुसलमानों को बचानेवाली महिला को मात्र ५१ हजार का इनाम पाते और वह भी एक हिन्दू द्वारा ? देखते हुवे आपको शर्मिंदगी नहीं महसूस नहीं हुई ? क्यूँ भाई ?? क्या उस महिला द्वारा बचाए गए दस मुसलमान रसूल के आशिक कहलाने लायक नहीं ? केवल इसीलिए की उन्होंने दंगो में मुसलमानों पर हथियार उठाने वाले हिन्दुओं को मारने की या ऐसी कोई इच्छा जाहिर करने की जगह बचाने वाली एक हिन्दू महिला का शुक्रिया अदा किया ?
ओवैसी साहब ! माना की आप के बेइंतहा रसूल प्रेम के बावजूद आप कुरैशी साहब की तरह इनाम देने की हैसियत न रखते हो लेकिन कम से कम बयान तो ढंग का देते ? क्यूँ की ५१ करोड़ से जो काम नहीं होता वो दो लफ्जों से भी हो जाता है ! क्या आपको लगता है की आई एस आई एस वाले सबको ५१ करोड़ बाँट रहे हैं ? नहीं न ? फिर उनके दो लफ्जों में ऐसी कौन सी जादू होती है जो आपके दो लफ्जो में नहीं ? वो किसी को दो लफ्जों से आत्मघाती हमलावर तक बना सकते हैं और आप अपने दो ढंग के लफ्जों से दस दस रसूल के आशिकों की जान बचाने वाले की तारीफ़ तक नहीं कर सकते ? जिससे की दुनिया को यह सबुत मिलता की एक मुसलमान दो लफ्जों से सिर्फ किसी को फिदाइन ही नहीं बल्कि ताउम्र के लिए किसी को अल्लाह का प्यारा अमनपसंद इंसान भी बना सकता है !
ऐसे लोगों के बिआनों से मन चिड जाता है .
करारा लेख ! बधाई !!