नींद का उन्माद- रात के उस पार
नींद का उन्माद रात के उस पार है
जागने वाले कहते है उठ जाग
अब सुबह का इन्तजार कौन करेगा
भोर हमेशा रात में सोने वालों की होती
हमेशा सुबह नींद पूरी होने पर होती
अधूरी होने से टूट जाता है ख्वाब
नई ऊंचाई की आस सफर में रह जाती
मौन तन्हाई नींद बुला ही देती है
नींद है सुखों की पहचान
इन्सान में भरती है जान
नींद के उन्माद में है खजाना
मौन ईक प्यारी नींद तो सुलाना माँ
—मौन
वाह !
विजय जी धन्यवाद