लघुकथा

“आस “

गोदाम में बिखरे दानों को देख अचानक भीखू को माँ की सीख याद आ गयी – ‘ बेटा अन्न का आदर करना चाहिए |’ …ये अमीर लोग क्या जाने इन दानों की कीमत? यह तो कोई मुझसे पूछे, जिसके पेट में सुबह से शाम हो गई पर अन्न का एक दाना भी नहीं पहुंचा है ..|
दोस्त ने कहा था कि मोटा गैंडा काम खूब कराता है, पर रूपये देने में आना-कानी नहीं करता, ऊपर से वहां पर गिरे अनाज घर ले जाने को बोल देता है| बस इसी आस में आज इस सेठ के गोदाम में आ गया ….. |

फैले हुए दानों को देख भीखू खुश हो मन ही मन बोला -‘आज माँ भूखी न सोयेंगी |’
झाड़ू मारते-मारते भीखू ख्यालों में खोया ही था कि तभी कानो में एक कर्कश आवाज गूंजी “अब्बे छोरे जल्दी जल्दी हाथ चला खाया नहीं है क्या?”
सुनते ही भीखू की आँखों से झर-झर आंसू बहने लगे|
“अरे क्या हुआ …..काम नहीं होता तो फिर क्यों आया?”
“सेठ जी सुबह से कुछ नहीं खाया, माँ कल रात में चावल का माड़ पिला सुला दी थी ..घर में एक दाना भी नहीं है..|”
“ओह तो ये बात है, ले खा ले आज सेठाइन ने ज्यादा ही खाना भेजा है …! तू भी खा ले और हाँ खाकर अच्छे से साफ़ सफाई करना ! भले कितनी भी देर हो जाये| ” ह्रदय नारियल सा हो गया अतः आधी टिफ़िन भीखू को दें डाली |
ख़ुशी ख़ुशी भीखू बोला-” जी सेठ जी ”
अब उसके हाथ फुर्ती से चलने लगे ,खाना मिलने की ‘आस’ जो जग गयी थी| ……..सविता मिश्रा

 

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|

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