बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ
लिया तूने जब जन्म, फोड़ी क्यों हाँडी काली
जन्म संग मिली नफरत, न गई नाज से पाली
लड़का लेता जन्म जब, रौनक चेहरे पर आती
करें बच्चों में भेदभाव, जगत की रीत निराली
समझते क्यों बोझ तुझे, मानते क्यों तुझे रोग
क्यों तेरे जन्म लेने से, यहाँ डरते हैं सब लोग
प्रसवपूर्व लिंगजाँच करा, गर्भ में करें जो नाश
स्वर्ग-नर्क यहीं जगत में, भोगें करनी के भोग
कैसे कत्ल कर जीव का, जीती होगी वो माता
तोड़ कैसे पाती होगी, वह अपने अंश से नाता
स्वयं संतति नष्ट कराना, सरल काज नहीं है
रख विवेक ताक पर, ये घृणित पग उठ पाता
लेने दो जन्म कन्या को, अन्यथा पछताओगे
वंश-बेल चलाने के लिये, बहू कहाँ से लाओगे
एक समान देना अवसर, भेदभाव नहीं करना
सिर रहेगा गर्व से ऊंचा, मान जग में पाओगे
बढ़ने दो इन्हें पढ़ने दो, ये ऐसा काम करेंगी
सम्पूर्ण जग में तुम्हारा, ये रोशन नाम करेंगी
लड़का घर की ताकत, लड़की घर की आन
लड़के की भाँति घर के, ये सारे कष्ट हरेंगी
जब तक बेटी सुसराल में दुखी रहेगी तब तक यह नीच काम बराबर चलता रहेगा.
आदरणीय गुरमेल सिंह भमरा जी बिल्कुल सही कहा आपने …समाज की सोच में बदलाव की अत्यन्त आवश्यकता है ।आपकी टिप्पणी के लिये सादर आभार
बहुत सुन्दर
आदरणीय रमेश कुमार सिंह जी सादर आभार