यह प्यार
वो पूछते हैं हमसे
यह प्यार कोई गुनाह तो नही
कहीं पहले से जुड़े रिश्तों में
दरार की वजह तो नही
अरे हम तो जाने कितने सालों से
उन्हें दिल में छिपाए बैठे है
नाउम्मीदी के पश्चात भी
उन्हें अपना बनाये बैठे हैं
हाँ गर यह गुनाह भी हो
तो यह गुनाह मुझे मंजूर है
वैसे भी
सच्चे प्यार को मिटाना
दुनिया का दस्तूर है
ंवो कहते हैं
हमसे कुछ मत छिपाना
अपना हाल ए दिल
हमको सुनना
बुरा लग गया
तो तुम्हे बता देंगे
अन्यथा अपनी पलकों में
फूलों की जगह सजा लेंगे
फिर भी व्यथा यह हुई
हम कुछ छिपा भी न सके
लेकिन एक एक शब्द
खुल के बता भी न सके
क्योंकि
वर्षों का सफ़र
किस तरह तय किआ है
एक एक दिन
मिलने की आस में जिया है
डरता हु कहीं
भावनाओं के आवेश में
इस कदर न झूल जाऊं
अपनी निज तृष्णाओं के दबाब में
अपनी मर्यादा भी भूल जाऊँ
नही चाहता
एक भी आंसू निकले
उनकी मासूम आँखों से
नाज़ुक सा दिल टूट जाए
मेरी हलकी बातों से
इसलिए
दिल की गहराइ से
यह कसम खाता हूँ
अब सिर्फ और सिर्फ
उनके प्यार के
साथ जीना चाहता हूँ
न करूंगा
कभी ऐसी बात
जिस से हो
उनके हृदय को आघात
हे सखी
यह प्यार
कोई गुनाह नही
जियो हर पल ख़ुशी से
क्योंकि
जीने के लिए
इससे बड़ी कोई दवा नही
मज़ा आ गिया पड़ कर.
Thnx respected sir