बालकविता: एक चिड़िया
चीं-चीं करती आई एक चिड़िया
अपनी कहानी मुझे बतलाई
मैने पूछा हुआ है क्या
रो-रो कर अपनी व्यथा सुनाई
वह बोली एक साँप ने
खा लिया उसके अंडों को
और मजे से बैठा है वो
उसी पेड़ के नीचे तल में
यह सुनकर मेरी आँखें भर आई
और हुआ गुस्से से लाल
उठा ली मैने एक लाठी
चल पड़ा चिड़िया के साथ
जाकर क्या देखता हूँ मैं
साँप है बहुत मोटा-ताजा
सोच लिया मैने भी ये
मैं अपने एक ही वार से
कर दूँगा इसको आधा-आधा
साँप था बहुत ही चतुर
मुझे देखते सतर्क हो गया
जैसे ही वार किया मैने
वह दुष्ट अधमरा हो गया
दूजा वार किया जब मैने
भगवान को वह प्यारा हुआ
भीगी पलकों से मुझे
चिड़िया ने धन्यवाद दिया
मैने हल्की मुस्कान के साथ
उसको संकेत दिया कि
मैने तो बस अपना कार्य किया
–विकाश सक्सेना
अच्छी बाल कविता !