पिता चले गए
पिता चले गए
साथ अपने ले गए
ज्यों सारी ऋतुएं
खुशहाली ,तीज त्यौंहार
छोड़ गए साए में अनमने
उम्र काटते दिन
पूजा घर से अब नहीं उठती
धूप,अगरबत्ती की खुशबू
न ही गूंजता शंखनाद
नहीं उच्चारित होते
महामृत्युंजय के जाप
नब्जों में ठहर गई
वो तमाम दुआएं
नित करती थी जो बेटियां
उनकी सलामती के लिए
पिता चले गए
चली गई सर से
प्रेम की घनेरी छाया
और तमाम अच्छे दिन
उबलने लगा
विस्तृत सूने मैदान सा
क्षण-क्षण जीवन
स्मृतियाँ सहेजते
एक दूजे को तसल्ली देते
दिन उजाड़ सा काटते
दुबक कर कोने में रोती
छुप-छुप कर सबकी रात
दिवाली,होली बीज,तीज
लौटने लगे डॉम खली हाथ
अब कोई नहीं मांगता
किसी के वास्ते
दे कर उन्हें कुछ
बदले में झोली भर-भर आशीष
पिता चले गए
चली गई
हाथों से ज्यों
स्नेह की रेखाएं
चली गई बहार
बेटियां घर की रौनक होती है
हंस हंस कर
फिराते हुवे
सर पर हाथ
ऐसा कहते थे पिता
पिता के जाने के बाद जाना
ये रौनकें पिता ही भरते थे
हम बेटियों की साँसों में
I love u papa I miss U Papa
आशा पाण्डेय ओझा
@yuva-9461cce28ebe3e76fb4b931c35a169b0:disqus जी भाई साहब पापा के लिए बेटियों से बड़ी दौलत कोई नहीं बेटियों के लिए पापा से बड़ा ना कोई सुख ,ना कोई खजाना ,ना कोई साया न कोई घेरा न कोई सुरक्षा .. बस दूर तक खुशहाली बिखेरता है पिता बेटियों की राहों में .. ईश्वर से बढ़ कर होते हैं पापा
आशा बहन , आप ने मुझे अपने पापा की याद दिला दी . अब हम खुद पापा हैं मेरी दो बेतिआं मुझे बहुत खुश रखती हैं , वोह मुझे ऐसे ही समझती होगी जैसे आप अपने पापा को याद करती हैं.