सिर्फ़ तू ……..
दिल करता है
उसका सपना सजाऊं
जिस में …..
सम्पूर्णता हो
प्रवीणता हो
सरलता हो
कल्याण हो
प्रगति हो
सहनशीलता हो
मिठास हो
जिज्ञासा हो
प्रबलता हो
लक्ष्य हो
आशाएं हो
महत्व हो
गरिमा हो
शालीनता हो
उल्हास हो
विस्तार हो
ऊँचाइयाँ हों
दीनता हो
उदीर्नता हो …
बहुत सोचा
तो कोई और
नज़र नहीं आया !
ये तो सिर्फ़ तुम्हारा
और सिर्फ़ तुम्हारा ही
सपना हो सकता है
……..मोहन सेठी ‘इंतज़ार’
बहुत अछे .
वाह ! वाह !!