कविता : आया तेरा ही ख्याल
जब भी बैठी कुछ लिखने
आया बस तेरा ही ख्याल …
“और क्या लिखूं तुझ पर?”
फिर वही सवाल … ??
चाहू लिखना कागज़ पर…
तो रुक गयी कलम
जहाँ आया तेरा नाम सनम
सोचा, लिख दें दिल पर…
तो बढ़ गयी धड़कन,
रूह में हुई हलचल
लिखने लगी आसमान पर
जो तेरे बारे में,
तो आसमाँ को भी छोटा पाया
तेरे एक इशारे से
लिख देते तेरा नाम
इस ज़मीं पर…
पर मैला न हो जाए,
सो ज़मीं को भी ठुकराया
हवाओं पर लिखने जो लगी
पर छू जायेगा तू किसी और को,
सोच कर दिल सिहर आया
चलाने लगी जो पानी पर मैं कलम…
पर बहकर कहीं दूर न चला जाए मुझसे?,
सो, हाँथ वहां भी चल न पाया
चल…
लिख देते हैं तेरा नाम
अपने दिल में…
धड़कन में…
रूह की परछाइयों में…
अपनी साँसों में…
जिस्म में…
अपनी अंगड़ाइयों में…
जिससे…
जब भी चाहूँ तुझे पाऊं
खुद में ही समाया…
लोग देखकर पूछें मुझसे..
कि मैं हूँ या
तेरी चाहत का साया…!!
— रितु शर्मा