पर्यावरण
वॄक्षों से धरती सजाओ,
पर्यावरण स्वच्छ बनाओ।
इधर-उधर मत कूड़ा फैंको,
धरती का कण-कण महकाओ।
पोलीथीन से नाता तोड़ो.
जूट के बैग सब अपनाओ।
वाहन कम -से-कम चलाओ.
धुएं से सबको बचाओ।
आओ सब मिल पेड़ लगाएँ
जग प्रदूषण मुक्त बनाएँ
अपनी प्यारी धरती का
पर्यावरण स्वच्छ बनाएँ।
— सुरेखा शर्मा
पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन की ओर दिशा-निर्देश देती बहुत सुंदर कविता |
मैं श्री विजय जी के शब्दों से पूरी तरह से सहमत हूँ। बहुत अच्छी कविता है। हार्दिक बधाई। एक पंक्ति जो कविता में नही कह पा रहा हूँ यह जोड़ना चाहता हूँ कि “घर घर प्रातः सायं यज्ञ-अग्निहोत्र करके, वायु-वर्षाजल-अन्न को सुगन्धित-पौष्टिक बनायें।” धृष्टता के लिए क्षमा।
इस कविता की प्रत्येक पंक्ति पर्यावरण संरक्षण अभियान का नारा बन सकती है ।