कविता : महज़ एक ख्याल
ये हैं महज़ एक ख्याल
पर मैंने रूह से महसूस किया
ज़िंदगी खूबसूरत हैं
चलो
आज कुछ पल
ज़िंदगी को
मेरी नजर से महसूस करो
हाँ ज़िंदगी खूबसूरत हैं
पता हैं कैसे …
जैसे कि
तुम सूरज की तरह
उदय हो रहा हो
और मैं
तेरी सिंदूरी किरणों की तरह
फ़ैल रही हूँ
और ये ठंडी हवा मुझे छू रही हैं
और तुम मुझे
बचाने के लिए इन सर्द हवाओ से
आसमान की तरफ बढ़ कर
अपनी आगोश में ले रहे हो
फिर उस वक्त
मेरा रंग सिंदूरी से
पीले में तब्दील हो रहा हैं
सारा दिन संग रह कर
तुम छिप रहे सूरज की तरह
मेरे से अलग हो रहे हो
और मैं शाम बन कर
तेरे में ही ढल रही हू
पर तुम भी मेरे से
जैसे अलग नही होना चाहते
इसी लिए
मुझे अकेली रात देख कर
तुम चाँद बन
मेरा साथ देने आये हो …
दिन और रात देखना
गर तुझे मेरी याद ना आयी
तो फिर ये महज़ एक ख्याल हैं
पर मैंने रूह से महसूस किया हैं
मेरे लिए ज़िंदगी इन ख्यालो से भी खूबसूरत है …!!!
…...रितु शर्मा
बहुत अच्छी कविता !