रिश्ते
रिश्ते
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बहुत खूबसूरत होते है वो रिश्ते
जो दिल से जुङते है
क्यूंकि उनमे निस्वार्थ
अपनापन होता है
स्वार्थ से वशीभूत रिश्ते
दम तोड़ देते है
किसी न किसी मोड़ पर
तन्हा छोड़ देते है
बांट दिया है हमने आज
रिश्तों को परिभाषा में
चाहत रखते निभाने की
किसी न किसी इक आशा में
तभी उठ गया है विश्वास
आज सभी का रिश्तो से
मतलब की बेङियों को जकड़कर
रिश्ते निभाते किश्तों से
हो गया है आदमी खोखला
कल्पनाओँ की सपनो में
मतलब से मतलब रखके
दूर ही रहता अपनो मे
क्या ये रिश्तो की भाषा सही है
अपनो के बीच होकर भी नही है
बहुत जल्द वक्त ये आयेगा
रिश्तो का विवरण स्वार्थमय हो जायेगा
बहुत अच्छी कविता !