होली गीत “हवा चली होली में”
नर-नारी का तन-मन महके हवा चले जब होली में,
झूमें नाचें खुशी मनाएँ हवा चले जब होली में।
पीली सरसों खिले खेत में, हवा चले जब होली में।
नई-नई कोंपल खिल जाएँ, हवा चले जब होली में।
भीनी-भीनी गंध बिखेरें, फूल खिलें जब होली में।
रूठे जन को प्रिय मनाएँ, गले लगा कर होली में।
हँस-हँस कर सब नाचें गाएँ, धूम मचाएँ होली में।
बैर -भाव सब द्वेष मिटा कर, गले लगाओ होली में,
रंग -गुलाल, अबीर लगाओ हवा चले जब होली में।
रूखा-सूखा रहे ना कोई, इस बार की होली में।
— सुरेखा शर्मा
होली में अभी देर है. लेकिन फागुन शुरू हो गया है, इसलिए ठीक है. वैसे गीत अच्छा है.