कविता

काश अगर तुम कह जाते..

कहा होता इशारों से
हम वो भाषा भी समझ जाते
तुम् मेरे हो सिर्फ मेरे हो
सुनने को कान तरस जाते
रही तङप अब बाकि मन मे
अधरो से जाम छलक जाते
होती हे धङकन तुम बिन मंद
वो खुशी के आंसू कह जाते
इक बार सनम बस इक बार
लफ्जों का जादू चला जाते
हम..हम नही रहते तेरी कसम
काश!!अगर तुम कह जाते

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]