कविता

अंजुरी भर सपने

पोल के नीचे अक्सर

वह दिखती

पुरानी किताबों के कुछ पन्ने

कुछ जोड़ तोड़ कर

टूटे फूटे शब्द बोल बोल कर

पढ़ने की कोशिश करती

वह बड़ी अफसर बनना चाहती थी

चुपके चुपके देखती

अपने अधूरे रंगहीन सपने

जिसे पूरा करना शायद

उसके बस मे नहीं था

फिर भी सपने देखती , हसरत थी

विश्वास था ,पूरा करने का

छोटे छोटे हाथों मे काम बड़े थे

वह रोज माँ के काम मे हाथ बंटाती

नन्हें हाथों से बर्तन माँजती

छोटी सी गोदी मे भैया को खिलाती

फिर भी उन टुकड़ों को पढ़ना नहीं भूलती

उसके आस पास सीलन भरी ज़िंदगी थी

पर हाथों मे खुशबूदार सपने थे

वह जीतना चाहती थी

अपनी उम्र से ज्यादा उसके सपने थे

विद्यालय का द्वार

उसके लिए नहीं था

वह बाहर खड़ी होकर देखती

रंग बिरंगे कपड़ों मे

दौड़ते खिलखिलाते बच्चे

और हसरत लिए लौट आती

नियति के आगे सिर झुका

वापस अपनी दुनिया मे

छोटे हाथ बड़े हो गए

काम बड़े हो गए

टोकरी उठाने लायक

परिवार का पालन पोषण करने लायक

उसके पन्ने अब उससे दूर हो गए

अब वो कभी नहीं पढ़ती

कहीं गुम हो गए उसके

अंजुरी भर सपने !!!!

अन्नपूर्णा बाजपेई

नाम : अन्नपूर्णा बाजपेई पति का नाम : श्री सुधीर बाजपेई पिता का नाम : स्व॰ सेवक राम त्रिपाठी माता का नाम : स्व. श्रीमती दुर्गा देवी त्रिपाठी जन्म तिथि : 4 सितंबर 1968 शिक्षा : एम कॉम,एम ए हिन्दी साहित्य कानपुर विश्वद्यालयसे , शास्त्री - संस्कृत व्याकरण मे सम्पूर्णा नन्द संस्कृत विश्व विद्यालय वाराणसी से , पी जी डी आर डी इग्नू से । मो : 09236555679 पता : प्रभाञ्जलि , 277- 278 विराट नगर , अहिरवां , कानपुर । 7 । संप्रति : अध्यापन कार्य से निवृत्त , अब स्वतंत्र लेखन,साहित्य सेवा एवं समाज सेवा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ( संगठन ) श्री परशुराम इन्टरनेशनल पंजीकृत न्यास, सचिव (महिला) वाणी साहित्यिक संस्था एवं प्रकाशन संस्थान । साहित्यिक सफर : बचपन के दिनों से कहानी लेखन, कालेज के समय से आलेख एवं छोटी छोटी रचनाएँ लिखना आरंभ किया , 2009 के पश्चात पूर्णतया साहित्य को समर्पित । सम्मान : 2013 मे शोभना वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा ब्लॉग रत्न सम्मान , 2014 मे मुक्तक गौरव, मुक्तक शिल्पी से सम्मान, अखंड भारत पत्रिका द्वारा वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई साहित्य गौरव सम्मान , भाषा सहोदरी हिन्दी द्वारा साहित्य ज्ञान गौरव से सम्मान से सम्मानित,20015 मे आगमन सहत्यिक संस्था द्वारा साहित्य गौरव से सम्मानित, अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्रामहन संस्था द्वारा पं प्रताप नारायण मिश्र साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित , भारती परिषद प्रयाग द्वारा भारती शिखर सम्मान माननीय केशरी नाथ त्रिपाठी राज्यपाल प.बंगाल एवं माननीय श्री कप्तान सिंह सोलंकी राज्यपाल पंजाब हरियाणा के कमलों द्वरा प्राप्त , बटोही संस्था, कानपुर द्वारा नगर गौरव सम्मान , ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा साहित्य सरताज सम्मान एवं अन्य अनेक संस्थाओं द्वरा सम्मान प्राप्त । प्रकाशित कृतियाँ : जीवंत हस्ताक्षर भाग -2 व 3, सारांश समय का , काव्य सुगंध ,सहोदरी सोपान ,कवितलोक , तेरी यादें , कानपुर के समकालीन कवि (विशाल काव्य संग्रह) , दीप शिखा , शब्द कलश एवं ‘सिर्फ तुम’ कहानी संग्रह मे साझा रचनाएँ एवं कहानियाँ संकलित , जीवन संध्या मे एकाकी – क्यों ? (आलेखमाला) एकल संकलन , प्रतिलिपि डॉट कॉम पर कहानियाँ संकलित। सम्पादन : जीवन संध्या मे एकाकी – क्यों? का सम्पादन एवं लेखन , सहोदरी सोपान भाग 2 व जीवंत हस्ताक्षर मे सह सम्पादन । ब्लॉग - नूतन कहानियाँ , नूतन उद्गार , नूतन प्रभु की वाणी , ई मेल आई डी : [email protected] विशेष :- उदन्ती ,इंडियन हेल्प लाइन , संभाव्य ,समाज कल्याण पत्रिका ,सार्थक नव्या , सुखी समृद्ध परिवार , हिन्दी भाषा सहोदरी , बालमित्र , विश्व विधायक ,साहित्यांचाल एवं अन्य विभिन्न पत्रिकाओं मेतथा निर्झर टाइंम्स , दरभंगा टाइम्स ,देशबंधु , नवभारत टाइम्स ,हिंदुस्तान,पुष्प सवेरा समाचार पत्र मे कहानियाँ , लघु कथाएँ , आलेख एवं रचनाएँ निरंतर प्रकाशित