कविता

कविता : दिल कभी दरिया नहीं होते

दिल कभी दरिया नही होते
दिल तो मॉस की मुट्ठी
ना चप्पू ना कश्ती कोई
ना कोई कील किनारे होते
नैनो की तो बात करो ना
कुआ झील दरिया नही होते
बस अच्छी बुरी देखने खातिर
फरेब बड़े सुहाने होते
छोड़ री पगली खा ना धोखा
मुट्ठी मॉस की भर ले
महीवाल को देने खातिर
चल कच्चे पर तू तर ले …!!

….रितु शर्मा ….

रितु शर्मा

नाम _रितु शर्मा सम्प्रति _शिक्षिका पता _हरिद्वार मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं