सामाजिक

दहेज प्रथा

आजकल नारियों पर इतना अत्याचार देखने को मिल रहा है कि कहा नहीं जा सकता। कहीं नारियां दहेज को लेकर कष्ट झेल रही हैं तो कहीं कुछ और, लेकिन आज मैं विशेष रूप से दहेज़ पर ही लिखने पर मजबूर हूँ।

सरकार ने दहेज प्रथा को रोकने के लिए कई कनून चलाए। कहा गये वो कानून, वो बस एक दिन के लिए थे जिस दिन लागू की गई। आज इस दहेज की अग्नि में कितनी नारियाँ झुलस रही हैं । है किसी की नजर? है किसी को पता?

पुरातन काल में ऐसा कहा जाता था – जहां नारी की पूजा होती है वहीं देव गण भी निवास करते हैं। परन्तु ऐसा जानते हुए भी नारी के साथ अन्याय और शोषण में कमी नहीं आयी. इसके उत्तर में यह कहा जा सकता है कि हम पूर्णतः अपनी संस्कृति और सभ्यता का त्याग कर चुके हैं। जिसके चलते हमें नारी के अन्दर विद्यमान गुणों को समझने कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । है कोई नारी के पीड़ा को समझने वाला जो भी है वो पीड़ा देने वाला , समझने वाला नहीं।

ये कैसे लोग भुल गये कि प्राचीन काल में भी देखा जाए तो हमारे समाज में नारियों की स्थिति पुरूषो से कहीं सुदृढ़ मानी जाती थी। एक ऐसा समय था कि नारी का स्थान पुरूषो इतना ऊंचा और पुज्यनीय था कि पिता के नाम के स्थान पर माता के नाम से ही पहचान कराई जाती थी।ये सभी बातें आज कहाँ विलुप्त हो गई कुछ पता नहीं । आज मैं दहेज लेने वालों से यही कहूंगी कि दहेज़ लेने से पहले एक बार अपनी भारतीय संस्कृति सभ्यता को झाँककर देख लें कि नारियों का क्या महत्व है, क्या मान है, क्या सम्मान है।

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

8 thoughts on “दहेज प्रथा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लेख बहुत अच्छा और जागरूपता के विषय में है. मुझे तो यह समझ नहीं आती कि यह कोहड कब हमारे देश से ख़तम होगा . कहने को तो हमारा देश रिशिओं मुनिओं का है लेकिन रिशिओं मुनिओं की एक बात भी हम में नहीं है. २००१ में मैंने एक शादी दिली में अटैंड की. लड़की का बाप नहीं था , फिर भी उन्होंने बहुत कुछ दिया . जब सारा सामान देखने के बाद विदाई होने लगी तो मैं ने अपने रिश्तेदार जिस के लड़के की शादी थी , को कहा , भाई , लड़की वालों ने बहुत खर्च किया है , उनको धन्यवाद तो कह दो , तो वोह बोला , धन्यवाद काहे का ? उन्होंने कोई ख़ास तो दिया नहीं . मेरा मन इतना बुझ गिया कि दुसरे दिन ट्रेन पकड़ कर हम वापिस आ गए .

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      ji गुरमेल सिंह भमरा लंदन ji ye dahej pratha humare desh me bhut bda abhishap ban chuka hai. ydi sabki soch aap jaisi ho to sayad humare desh se dahej pratha ka ant ho sakta hai

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      ji गुरमेल सिंह भमरा लंदन ji dahej pratha humare desh me bhut bda avishap ban chuka hai . ydi sabki soch aapki jaisi ho jaye to sayad humare desh se ye pratha mit sakti hai

  • रमेश कुमार सिंह

    सुंदर प्रस्तुतीकरण दहेज पर निवेदिता जी।

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      hardik abhar sir ji

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      धन्यवाद श्रीमान जी।

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख है. विषय भी सही चुना है. आपके विचारों में परिपक्वता है.

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      sukriya विजय कुमार सिंघल sriman ji

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